Advertisement
2028 तक बाल विवाह मुक्त झारखंड के लिए बनी कार्ययोजना
रांची : झारखंड सरकार ने यूनिसेफ व विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग व परामर्श से राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने की एक कार्य योजना तैयार की है. वर्ष 2028 तक झारखंड को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए बनी इस रणनीति को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए विभिन्न स्तर पर स्टेयरिंग […]
रांची : झारखंड सरकार ने यूनिसेफ व विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग व परामर्श से राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने की एक कार्य योजना तैयार की है. वर्ष 2028 तक झारखंड को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए बनी इस रणनीति को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए विभिन्न स्तर पर स्टेयरिंग कमेटी, मॉनिटरिंग कमेटी व स्टैंडिंग कमेटी के अलावा संरक्षण समिति भी बनायी गयी है. गौरतलब है कि झारखंड में 38 फीसदी लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से पहले तथा 30 फीसदी लड़कों का विवाह 21 वर्ष की उम्र के पहले होता है.
ऐसे विवाह बाल विवाह की श्रेणी में आते हैं. गोड्डा, गढ़वा, देवघर, गिरिडीह व कोडरमा राज्य के सर्वाधिक बाल विवाह वाले जिले हैं, जहां 50 फीसदी से लेकर 63.5 फीसदी तक बाल विवाह हो रहे हैं. सरकार सबसे पहले इन पांचों जिलों पर अपने कार्यक्रम को फोकस करना चाहती है.
कार्य योजना के उद्देश्य : बालिकाओं पर विशेष जोर देते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देना, इनका कौशल विकास तथा बालिकाअों की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना. बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 सहित विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों, नीतियों व योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन तथा बाल संरक्षण से जुड़े पदाधिकारियों का क्षमता विकास करना. किशोर-किशोरियों को बाल विवाह के खिलाफ सशक्त करना तथा लिंग समानता को बढ़ावा देना, बाल विवाह व बालिकाओं के संदर्भ में सामाजिक मान्यता व मनोभाव में परिवर्तन लाना.
किशोर लड़के-लड़कियों का क्षमता विकास कर उन्हें रोजगारोन्मुख होने में सशक्त करना तथा जीवन को प्रभावित करने वाले मामलों में निर्णय लेने के लिए सबल बनाना. कार्यक्रमों व नीतियों को अनुकूल बनाने के लिए जानकारी व आंकड़ों का सृजन करना. बाल संरक्षण व सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में सुधार करना.
योजना को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया
राज्य कार्य योजना की मुख्य गतिविधियां
बाल विवाह के कारण
गरीबी, विभिन्न कानूनों का प्रभावी ढंग से लागू न होना, पितृ सत्तात्मक सामाजिक मानदंड, समय से पहले शादी का अच्छा प्रस्ताव मिल जाना, बालिकाअों की सुरक्षा, लड़के के परिवार के लिए अतिरिक्त कमाई का जरिया या सहायक हाथ होने का मानस, शिक्षा का सीमित अवसर व निम्न गुणवत्ता, दहेज प्रथा तथा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के बारे में सीमित जागरूकता जैसे मिले-जुले कारण शामिल हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement