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झारखंड में मौत का बड़ा कारण डायरिया व सांस की बीमारी, जानें वर्ष 1990 व 2016 में मौत के लिए जिम्मेदार 15 कारण

संजय इंडियन काउंसिल अॉफ मेडिकल रिसर्च व स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट, 1990 के मुकाबले डायबिटीज से अब तीन गुना मौत रांची : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (इंडियन काउंसिल अॉफ मेडिकल रिसर्च) तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के विभिन्न राज्यों से संबंधित रिपोर्ट तैयार की है. द पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन अॉफ इंडिया तथा द इंस्टीट्यूट […]

संजय
इंडियन काउंसिल अॉफ मेडिकल रिसर्च व स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट, 1990 के मुकाबले डायबिटीज से अब तीन गुना मौत
रांची : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (इंडियन काउंसिल अॉफ मेडिकल रिसर्च) तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के विभिन्न राज्यों से संबंधित रिपोर्ट तैयार की है.
द पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन अॉफ इंडिया तथा द इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के सहयोग से तैयार इस रिपोर्ट में वर्ष 1990 से 2016 के बीच संबंधित राज्यों में मौत के कारणों की पड़ताल की गयी है. यानी किस राज्य पर किन-किन बीमारियों का बोझ है, यह पता लगाया गया है. इसमें राज्य की पूरी आबादी को चार ग्रुप में बांटा गया है. झारखंड के इन सभी उम्र वर्ग में मौत का सबसे बड़ा कारण डायरिया तथा सांस संबंधी बीमारी (लोअर रेसिपिरेटरी इंफेक्शन) है. शून्य से 14 वर्ष तक के बच्चों में 39.4 फीसदी मौत का कारण डायरिया तथा सांस संबंधी बीमारी होती है.
वहीं 15 से 39 वर्षीय लोगों में 15 फीसदी मौत, 40 से 69 वर्ष उम्र वाले लोगों में 16.1 फीसदी तथा 70 वर्षं या अधिक उम्र वालों के 33.2 फीसदी मौत का कारण यही है. एचआइवी एड्स भी झारखंडियों को मार रहा है. जन्म से 14 वर्ष तक की उम्र वाले बच्चों की कुल मौत का 1.3 फीसदी एचआइवी-एड्स के कारण है. यह संक्रमण बच्चों को उसकी मां से मिलता है.
उसी तरह 15 से 39 वर्षीय लोगों के बीच 14.1 फीसदी मौत का कारण एचआइवी-एड्स है. वहीं 40 से 49 वर्षी लोगों में 8.4 फीसदी तथा 70 वर्ष व अधिक उम्र वालों में 4.1 फीसदी मौत का कारण एचआइवी-एड्स है. इधर वर्ष 1990 की तुलना में 2016 में डायबिटीज से होने वाली मौत तीन गुना बढ़ गयी है.
1990 में 0.6 फीसदी लोगों की मौत इससे होती थी. वहीं वर्ष 2016 में यह 1.8 फीसदी मौत का कारण है. विभिन्न उम्र वर्ग में मौत के लिए कई अन्य बीमारियां व कारण भी जिम्मेवार हैं (देखें चार्ट).
रिपोर्ट के आंकड़े कहां से : उपरोक्त संस्थाअों सहित स्वास्थ्य क्षेत्र के 14 विशेषज्ञों ने जनगणना, सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे, डिस्ट्रिक्ट लेबल हाउस होल्ड सर्वे, एनुअल हेल्थ सर्वे तथा नेशनल सैंपल सर्वे अॉर्गनाइजेशन के सर्वे सहित स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न सरकारी संस्थाअों के सर्विलेंस सिस्टम के आंकड़े के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है.
इसे इंडिया : हेल्थ अॉफ द नेशंस स्टेट्स (द इंडिया-स्टेट लेबल डिजीज बर्डेन इनिशिएटिव) नाम दिया गया है. मौत के कारणों को समझने तथा इसी अनुरूप स्वास्थ्य नीति व कार्यक्रम निर्धारित करने के वास्ते यह रिपोर्ट देश में पहली बार तैयार की गयी है.
वर्ष 1990 व 2016 में मौत के लिए जिम्मेदार 15 कारण
वर्ष 1990
डायरिया (13.5 फीसदी मौत का कारण)
सांस संबंधी बीमारी (10.5)
खसरा (5.5)
टीबी (5.2)
जन्म संबंधी पेचीदगी (4.8)
नवजात से जुड़ी समस्याएं (3.9)
टेटनस (3.1)
नियोनेटल इनसैफलोपैथी (2.9)
हृदय रोग (2.7)
एनिमिया (2.2)
मलेरिया (1.7)
कालाजार (लिसमनियासिस) (1.7)
डूबने से हुई मौत (ड्रॉनिंग) (1.7)
हृदयाघात (1.6)
जन्म संबंधी परेशानी (1.6 फीसदी मौत का कारण)
वर्ष 2016
डायरिया (9.8 फीसदी मौत का कारण)
छाती संबंधी रोग (6.6)
सांस संबंधी बीमारी (4.5)
एनिमिया (4.2)
टीबी (3.8)
प्रीटर्म जन्म की परेशानी (3.3)
फेफड़ा संबंधी बीमारी (सीअोपीडी) (3.3)
सड़क दुर्घटना (2.9)
हृदयाघात (2.7)
सेंस अॉर्गन डिजीज (2.6)
नवजात संबंधी अन्य बीमारी (2.3)
गर्दन व पीठ दर्द (2.0)
त्वचा रोग (1.9)
माइग्रेन (1.9)
डायबिटीज (1.8 फीसदी मौत का कारण)
जन्म से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चे : डायरिया व सांस संबंधी बीमारी (कुल मौत का 39.4 फीसदी), नवजात संबंधी परेशानी (32.8 फीसदी). किसी तरह की चोट (6.2 फीसदी) तथा पाचन संबंधी बीमारी (5.9 फीसदी).
15 से 39 वर्षीय लोग : डायरिया व सांस संबंधी बीमारी (कुल मौत का 15 फीसदी), एचआइवी-एड्स (14.1 फीसदी), मस्तिष्क रोग (13.4 फीसदी) तथा आवागमन के दौरान चोट (11 फीसदी).
40 से 69 वर्षीय लोग : हृदय संबंधी रोग (कुल मौत का 28.9 फीसदी), डायरिया व सांस संबंधी बीमारी (16.1 फीसदी). कैंसर (11 फीसदी) तथा सांस संबंधी जटिलता (8.6 फीसदी).
70 वर्ष या अधिक उम्र वाले : डायरिया व सांस संबंधी रोग (कुल मौत का 33.2 फीसदी), हृदय रोग (27.2 फीसदी), सांस संबंधी गंभीर बीमारी (10.1 फीसदी) तथा डायबिटीज व पेशाब संबंधी बीमारी (6.5 फीसदी).
किस उम्र वर्ग में ज्यादातर मौत किससे
झारखंड में होनेवाली कुल मौत कौ यदि सौ फीसदी माना जाये, तो इसमें 13 फीसदी मौत जन्म से 14 वर्षीय बच्चे की, 12.3 फीसदी मौत 15 से 39 वर्षीय लोगों की, 41.2 फीसदी मौत 40 से 69 वर्षीय लोगों की तथा 33.5 फीसदी मौत 70 वर्ष या इससे अधिक उम्र वालों की होती है. इन सभी चार उम्र वर्ग के लोगों की ज्यादातर मौत के तीन कारण या बीमारियां यहां दी जा रही है. आंकड़े वर्ष 2016 के आधार पर हैं.

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