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CBI को नहीं मिली बकोरिया कांड के FIR की सत्यापित कॉपी, HC के आदेश के बाद भी नहीं दर्ज कर सकी प्राथमिकी

रांची : पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 को कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले में हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की है. मामले में बताया जा रहा है कि सीबीआइ के दिल्ली मुख्यालय ने सीआइडी को पत्र लिखकर बकोरिया कांड की एफआइआर की […]

रांची : पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 को कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले में हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की है. मामले में बताया जा रहा है कि सीबीआइ के दिल्ली मुख्यालय ने सीआइडी को पत्र लिखकर बकोरिया कांड की एफआइआर की सत्यापित कॉपी उपलब्ध कराने की मांग की थी.
सीबीआइ के एक स्थानीय अधिकारी चार-पांच दिनों से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें सीआइडी द्वारा सत्यापित कॉपी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. वजह है सीआइडी एडीजी का मुख्यालय में नहीं होना. यही वजह है कि हाइकोर्ट के आदेश के 26 दिनों बाद भी सीबीआइ प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकी है.
सुप्रीम कोर्ट जाने की हो रही है तैयारी
उधर, सूत्रों के मुताबिक पुलिस मुख्यालय और सीआइडी के आलाधिकारी बकोरिया कांड में हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में लगे हैं. सीआइडी के एक आलाधिकारी तीन-चार दिनों से दिल्ली में कैंप किये हुए हैं. पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी भी इस सिलसिले में 14 नवंबर को अचानक दिल्ली पहुंचे थे.
हालांकि अगले दिन वे रांची लौट गये थे. बताया जा रहा है कि दिल्ली में स्टेट काउंसिल से मंतव्य लिये जाने की कवायद की जा रही है, ताकि हाइकोर्ट के अादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर मामले में फौरी राहत के तौर पर स्टे लिया जाये. ताकि सीबीआइ मामले में प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान की कार्रवाई आगे शुरू ना कर सके.
हालांकि, इस मामले में एक वरीय अधिकारी का कहना है कि सीआइडी के स्तर से बकोरिया कांड में सुप्रीम कोर्ट जाने संबंधी कोई कवायद नहीं की जा रही है. लेकिन विभाग में मामले को लेकर की जा रही सारी कवायद की चर्चा जोरों पर है.
सीआइडी के अलावा पुलिस मुख्यालय के आलाधिकारी भी गये थे दिल्ली
मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए कानूनी विशेषज्ञ से लिया जा रहा मंतव्य
पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं होने पर सीआइडी को दी गयी थी जिम्मेदारी
संतोषजनक नहीं थी पुलिस की जांच
बता दें कि बकोरिया गांव के पास आठ जून 2015 की रात 10 बजे कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी. इसमें 12 लोग मारे गये थे. नौ जून को शाम चार बजे स्थानीय थाने में कांड संख्या 349/2015 के तहत प्राथमिकी की गयी थी. पहले मामले की जांच पुलिस द्वारा की जा रही थी, लेकिन जांच संतोषजनक नहीं होने पर राज्य सरकार ने इसे सीआइडी को सौंप दिया था. सीआइडी ने ढाई साल तक जांच करने के बाद मामले को सही बताते हुए पलामू कोर्ट में अंतिम जांच प्रतिवेदन समर्पित किया था.
क्या था हाइकोर्ट का आदेश
कोर्ट ने 22 अक्तूबर को अपने आदेश में कहा था कि राज्य की पुलिस और सीआइडी जैसी जांच एजेंसियों पर से लोगों का विश्वास उठ रहा है. उस विश्वास को कायम करने, उसे वापस लाने के लिए मामले की स्वतंत्र जांच जरूरी है. इसलिए मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी जाती है. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने प्रार्थी जवाहर यादव की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया थे. उन्होंने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआइ शीघ्र जांच पूरी कर हाइकोर्ट को रिपोर्ट सौंपे.

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