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सीसीएल को अगर हजार साल जीना है, तो कोयले से आगे सोचना होगा : सीएमडी

कोल इंडिया व सीसीएल के 44वें स्थापना दिवस पर सीएमडी ने कहा कोयला निकाल कर भविष्य में सुरक्षित रह पाना कठिन है जब तक सृष्टि है, तब तक मनुष्य को ऊर्जा का स्रोत चाहिए रांची : किसी व्यक्ति के लिए नहीं पर किसी कंपनी के लिए मुमकिन है कि वह हजार साल तक जिंदा रहे. […]

कोल इंडिया व सीसीएल के 44वें स्थापना दिवस पर सीएमडी ने कहा
कोयला निकाल कर भविष्य में सुरक्षित रह पाना कठिन है
जब तक सृष्टि है, तब तक मनुष्य को ऊर्जा का स्रोत चाहिए
रांची : किसी व्यक्ति के लिए नहीं पर किसी कंपनी के लिए मुमकिन है कि वह हजार साल तक जिंदा रहे. सीसीएल को भी यदि हजार सालों तक जीवित रहना है, तो हमें बियोंड कोल (कोयले से आगे भी) सोचना होगा.
सिर्फ कोयला निकाल कर भविष्य में सुरक्षित रह पाना कठिन लगता है. ये बातें सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह ने कंपनी के 44वें स्थापना दिवस पर कही. वह सीसीएल परिसर में आयोजित स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे.
श्री सिंह ने कहा कि हमें ग्रीन कोल पर काम करना चाहिए. मिथेनॉल बनाना चाहिए. जब तक सृष्टि है, तब तक मनुष्य को ऊर्जा का स्रोत चाहिए. इसके लिए हम कोयले से गैस या लिक्विड बनायें. सीसीएल की खाली जमीन पर सोलर प्लांट भी लगाया जा सकता है.
ऊर्जा की यह विविधता हमारा भविष्य सुरक्षित रखेगी. सीएमडी ने संबोधन के दौरान ही सीसीएल के एक अधिकारी को एक माह में इसका रोड मैप तैयार करने का निर्देश दिया. अपने संबोधन से पहले सीएमडी ने आग्रह किया कि 1959 में बनी फिल्म सुजाता का गीत तुम जियो हजारों साल…साल के दिन हों पचास हजार…बजाया जाये.
इससे पहले कोल इंडिया के झंडोत्तोलन व कॉरपोरेट गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इस अवसर पर निदेशक (वित्त) एसके घोष, निदेशक (योजना) वीके श्रीवास्तव, निदेशक (तकनीकी) एके मिश्रा व सीवीअो एके श्रीवास्तव सहित सभी सीसीएल कर्मी उपस्थित थे.
सामाजिक दायित्व के कार्यक्रमों का जिक्र : सीएमडी ने कहा कि सरकार के साथ सीसीएल का समझौता हुआ है, जिसके तहत कोयला निकालने के बाद पानी भरे खदानों का उपयोग आसपास के ग्रामीणों के पेयजल व उनके खेतों की सिंचाई के लिए होगा.
सीसीएल कर्मियों के मेधावी बच्चों को उच्च व तकनीकी शिक्षा के लिए कोचिंग वाले कार्यक्रम सीसीएल के लाल व लाडली का भी उन्होंने जिक्र किया. सीएमडी ने खेलगांव में संचालित स्पोर्ट्स एकेडमी के बारे में कहा कि वहां अभी 348 बच्चे हैं, जिन्होंने राज्य व राष्ट्र स्तरीय खेलों में 218 पदक जीते हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही एकेडमी में बच्चों की संख्या एक हजार से अधिक की जायेगी.
पहचान पत्र मिलेगा : श्री सिंह ने कहा कि सीसीएल से हजारों परिवार जुड़े हैं. वहीं पत्रकारों व ग्रामीणों सहित अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े अन्य लोगों को भी जोड़ दिया जाये, तो सीसीएल परिवार के सदस्यों की संख्या लाखों में होगी. सीएमडी ने निदेशक, कार्मिक आरएस महापात्रा से कहा कि वह तीन माह के अंदर इस संबंध में एक सर्वे करायें. शुरुआत रांची से हो. चिह्नित होने के बाद सबका पहचान पत्र बने.
शहीदों को दी श्रद्धांजलि : सीएमडी सहित सीसीएल के विभिन्न निदेशकों ने शहीद स्मारक (दरभंगा हाउस) में उन कोयला श्रमिकों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए अपनी जान गंवायी है.
मिला प्रमोशन : स्थापना दिवस पर सीसीएल के 436 कर्मियों के साथ ही सीसीएल मुख्यालय के विभिन्न विभागों के 62 कर्मियों को प्रमोशन दिया गया.
रांची : सीएमपीडीआइ भी बदलाव के लिए तैयार रहे : सीएमडी
रांची : सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआइ) में भी कोल इंडिया का स्थापना दिवस आयोजित हुआ. सीएमडी एस सरन ने संस्थान में कोल इंडिया का झंडा फहराया. कहा कि स्थापना काल एक नवंबर 1975 में कोल इंडिया का उत्पादन स्तर लगभग 79 मिलियन टन (एमटी) था, जो अब एक बिलियन टन होने को है.
कोल इंडिया की स्थापना सीएमपीडीआइ सहित पांच सहायक कंपनियों के साथ हुई थी. वर्तमान में कोल इंडिया की आठ सहायक कंपनियां हैं. सीएमपीडीआइ ने इन सबके लिए कोल ब्लॉक की पहचान से लेकर विस्तृत गवेषण, प्रोजेक्ट प्लानिंग, पर्यावरण तथा अन्य संबद्ध सेवाएं मुहैया करायी है. श्री सरन ने कहा कि कोल इंडिया आज जिस ऊंचाई पर है, उसे बरकरार रखने में ढेरों चुनौतियां हैं. आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग के दौर से गुजर रहा है. इससे कई बदलाव हो रहे हैं.
इसलिए सीएमपीडीआइ को भी बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए. अगले 25-30 वर्षों में यह संभव है कि कोयला प्राइमरी एनर्जी सोर्स न हो. सीएमपीडीआइ को इन नये ऊर्जा स्रोत के बारे सोचना होगा तथा इस कार्य के लिए अलग प्रक्रिया एवं प्रणाली विकसित करनी होगी. श्री सरन ने सीएमपीडीआइ को मिले तीन पुरस्कारों की चर्चा की. कार्यक्रम का संचालन प्रबंधक (कार्मिक) नवीन कुमार सिन्हा व धन्यवाद ज्ञापन महाप्रबंधक (कार्मिक व प्रशासन) सुनीता मेहता ने किया.
मौके पर संस्थान के निदेशक (तकनीकी/सीआरडी) बीएन शुक्ला, निदेशक (तकनीकी/ईएस) एके चक्रवर्ती तथा निदेशक(तकनीकी/पीएंडडी) केके मिश्रा के अलावा सीएमपीडीआइ परिवार के लोग उपस्थित थे.

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