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वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे आज : राष्ट्रीय औसत से तीन फीसदी अधिक झारखंड के लोगों ने की आत्महत्या

पारिवारिक समस्या, अवसाद, प्रेम में नाकामी, काम का दबाव ले रहा जान झारखंड में करीब 30.2 लोग करते हैं पारिवारिक कारणों से आत्महत्या बिहार के लोगों में जिंदगी जीने की है सबसे अधिक ललक मनोज सिंह रांची : हाल में देश में कई ऐसी आत्महत्या की घटनाएं हुई हैं, जिसने सबको सोचने पर विवश कर […]

पारिवारिक समस्या, अवसाद, प्रेम में नाकामी, काम का दबाव ले रहा जान
झारखंड में करीब 30.2 लोग करते हैं पारिवारिक कारणों से आत्महत्या
बिहार के लोगों में जिंदगी जीने की है सबसे अधिक ललक
मनोज सिंह
रांची : हाल में देश में कई ऐसी आत्महत्या की घटनाएं हुई हैं, जिसने सबको सोचने पर विवश कर दिया. रविवार को कानपुर के पुलिस अधीक्षक ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. दिल्ली में एक परिवार ने सामूहिक आत्महत्या कर ली. रांची में दो साल पहले एक संभ्रांत परिवार के मुखिया ने सभी सदस्यों को मारने के बाद खुद का मारने का प्रयास किया.
इसी साल जुलाई माह में कांके में एक परिवार के सभी सदस्यों ने आत्महत्या कर ली. इससे पहले हजारीबाग में एक परिवार ने अपनी जान दे दी. अब घटनाएं तेजी से ए ग्रेड सिटी से बी और सी ग्रेड सिटी तक बढ़ने लगी हैं. एक कारण यह भी है कि इन घटनाओं को ग्लैमराइज किया जाने लगा है.
मीडिया में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार होता है. इससे कमजोर मानसिक स्वास्थ्य वाले लोग प्रोत्साहित होते हैं. ऐसा मानना है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन में. नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का डाटा बताता है कि वर्ष 2015 में झारखंड में 835 लोगों ने आत्महत्या की थी. इसमें करीब 30 फीसदी कारण पारिवारिक था. यह संख्या राष्ट्रीय औसत से करीब तीन फीसदी अधिक है.
सबसे अधिक आत्महत्या पुडुचेरी व सबसे कम बिहार में
राज्य आत्महत्या (प्रतिलाख)
पुडुचेरी 43.2
सिक्किम 37.5
अंडमान निकोबार 27.7
छत्तीसगढ़ 27.7
तेलंगाना 27.7
तमिलनाडु 22.8
केरल 21.6
त्रिपुरा 19.6
मणिपुर 17.4
पश्चिम बंगाल 15.9
गोवा 15.4
महाराष्ट्र 14.2
मध्य प्रदेश 13.3
हरियाणा 13.0
मिजोरम 11.7
गुजरात 11.6
अरुणाचल प्रदेश 10.4
असम 10.0
ओड़िशा 9.7
दिल्ली 8.8
हिमाचल प्रदेश 7.7
राजस्थान 4.8
झारखंड 2.5
उत्तर प्रदेश 1.8
बिहार 0.5
देशभर में 27.6 फीसदी सुसाइड का कारण पारिवारिक समस्या
एनसीआरबी के डाटा के अनुसार सबसे अधिक आत्महत्या की घटना पारिवारिक कारणों से होती है़ देश में कुल आत्महत्या में करीब 27.6 फीसदी का कारण पारिवारिक है. करीब 26 फीसदी लोग अन्य कारणों से अपनी जान दे देते हैं.
इसके बाद करीब 15.8 फीसदी आत्महत्या का कारण बीमारी है. 12 फीसदी आत्महत्या का कारण पता नहीं चल पाता है. प्रेम-प्रसंग में करीब 3.3 फीसदी लोग सुसाइड करते हैं. दो फीसदी युवाओं ने परीक्षा में असफल होने पर अपनी जिंदगी खत्म कर ली. बेरोजगारी से दो और 2.7 फीसदी लोग ड्रग के कारण आत्महत्या कर लेते हैं.
शादी में होनेवाली परेशानी से करीब 4.8 और कर्ज से करीब 3.3 फीसदी लोग आत्महत्या करते हैं. एनसीआरबी का डाटा कहता है कि सबसे अधिक आत्महत्या दैनिक मजदूरी करनेवाले करते हैं. इनकी संख्या करीब 17 फीसदी है. इसके बाद गृहणियों की संख्या करीब 16.7 फीसदी है. खुद का कारोबार करनेवाले करीब 9.1 फीसदी लोग आत्महत्या करते हैं.
2015 में 835 लोगों ने की आत्महत्या
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में आत्महत्या करनेवालों की संख्या बिहार से अधिक है. बिहार की आबादी झारखंड से अधिक है. इसके बावजूद झारखंड में 2015 में करीब 835 लोगों ने आत्महत्या की. 2014 में करीब 1300 लोगों ने आत्महत्या की थी. वहीं इसी अवधि में बिहार में 719 लोगों ने आत्महत्या की थी. 2015 में 516 लोगों ने अपनी जान दे दी.
झारखंड में सबसे अधिक पुरुषों ने की आत्महत्या
उम्र पुरुष महिला
14 वर्ष से कम 05 09
14-18 42 28
18-30 152 98
30-45 186 87
45-60 143 42
60 से अधिक 39 04
कुल 567 268

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