रांची. रांची शहर के 3.5 लाख घरों से निकले कचरे को रांची नगर निगम झिरी में ले जाकर डंप करता है. पिछले 25 सालों से कचरा डंप किये जाने से वहां 22 लाख टन कचरे के चार बड़े-बड़े पहाड़ खड़े हो गये हैं. लेकिन अब आने वाले दिनों में शहर से निकला सूखा कचरा झिरी नहीं पहुंचेगा. इसके लिए रांची नगर निगम द्वारा शहर के 12 स्थलों पर एमआरएफ (मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) प्लांट लगाया जा रहा है. इन प्लांटों में सूखा कचरा को अलग-अलग कर लिया जायेगा. फिर यहीं पर प्रोसेसिंग कर इसका रि-यूज किया जायेगा. हरमू कचरा ट्रांसफर स्टेशन का निर्माण फाइनल स्टेज में है. दो से तीन दिनों के अंदर इस प्लांट का ट्रायल किया जायेगा. फिर इसे चालू कर दिया जायेगा. नगर निगम द्वारा इन प्लांटों का निर्माण शहर के हर इलाके (आइटीआइ पिस्का मोड़, कर्बला चौक, नागाबाबा खटाल, मोरहाबादी, कांटाटोली, हटिया, बड़ा घाघरा व हरमू) में किया जा रहा है. एक प्लांट के निर्माण पर एक करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है. निगम के अधिकारियों की मानें तो अक्तूबर माह तक अधिकतर प्लांटों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जायेगा.
ऐसे काम करेगा यह प्लांट
रांची शहर से हर दिन 650 टन कचरा निकलता है. इस कचरा में 350 टन गीला कचरा और करीब 300 टन सूखा कचरा रहता है. गीला कचरा को तो नगर निगम अपने वाहन से झिरी स्थित गेल इंडिया के प्लांट में सीधे भेज देता है. लेकिन सूखा कचरा का प्रोसेसिंग नहीं होने के कारण इसे भी झिरी डंप साइट में भेजना पड़ता था. अब एमआरएफ प्लांट के बन जाने से यहां सूखा कचरा से पेपर, कागज, शीशा, लोहा, लकड़ी आदि को अलग-अलग कर लिया जायेगा. फिर यहीं पर इसकी प्रोसेसिंग कर रि-यूज किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

