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पहाड़ी मंदिर के जीर्णोद्धार में गड़बड़ी की आशंका, समिति नहीं दे रही है खर्च की गयी राशि का हिसाब

रांची : राजधानी की आस्था का केंद्र रांची पहाड़ी और यहां स्थित पहाड़ी बाबा का मंदिर दोनों का अस्तित्व खतरे में है. पर्यावरणविद और भूगर्भ विज्ञानियों की मानें, तो पर्यावरण मानकों की अनदेखी यहां जीर्णोद्धार कार्य कराये गये, जिससे रांची पहाड़ी खतरे में पड़ गयी है. खास बात यह है कि इस जीर्णोद्धार कार्य में […]

रांची : राजधानी की आस्था का केंद्र रांची पहाड़ी और यहां स्थित पहाड़ी बाबा का मंदिर दोनों का अस्तित्व खतरे में है. पर्यावरणविद और भूगर्भ विज्ञानियों की मानें, तो पर्यावरण मानकों की अनदेखी यहां जीर्णोद्धार कार्य कराये गये, जिससे रांची पहाड़ी खतरे में पड़ गयी है. खास बात यह है कि इस जीर्णोद्धार कार्य में पानी की तरह पैसा बहाया गया, लेकिन किस मद में कितनी राशि खर्च की गयी, इसकी जानकारी पहाड़ी मंदिर विकास समिति के जिम्मेदार पदाधिकारी देने को तैयार नहीं हैं.

पहाड़ी मंदिर के जीर्णोद्धार की योजना वर्ष 2014-15 में बनी थी. इसके तहत पहाड़ी के ऊपरी हिस्से पर स्थित मुख्य मंदिर तक जाने के लिए सड़क और लिफ्ट की व्यवस्था की जानी थी. वहीं, पैदल पथ पर बैटरी चालित वाहनों के परिचालन की व्यवस्था करनी थी. इसके लिए 60 लाख रुपये से अधिक खर्च किये गये. इसके अलावा यहां 293 फीट ऊंचा फ्लैग पोस्ट बनाया गया. तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 23 जनवरी 2015 को सबसे ऊंचे झंडे का अनावरण कर, ध्वजारोहण भी किया था. इधर, सड़क निर्माण कार्य भी शुरू हुआ, लेकिन उसे बीच में ही अधूरा छोड़ दिया गया.

तत्कालीन उपायुक्त की अध्यक्षता में बनी थी पुनरुद्धार समिति : पहाड़ी मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष सह तत्कालीन उपायुक्त मनोज कुमार की अध्यक्षता में पुनरुद्धार कमेटी भी बनायी गयी थी. इसके कोषाध्यक्ष हरि जालान बनाये गये थे. समिति में सुनील माथुर और एस अग्रवाल को भी रखा गया था.
मेकन को बनाया गया था सलाहकार :
मंदिर के पुनरुद्धार कार्य के लिए मेकन को सलाहकार बनाया गया था. नयी दिल्ली के वास्तु शिल्प विशाल शर्मा ने जीर्णोद्धार कार्य को लेकर उपायुक्त को नक्शा भी सौंपा था. उर्मिला कंस्ट्रक्शन को फ्लैग पोस्ट बनाने का जिम्मा दिया गया था.
पांच साल में दो करोड़ हो गया था समिति का फंड
हरि जालान कहते हैं, कि जब उन्होंने कोषाध्यक्ष का पदभार संभाला था, तब समिति के पास 45 से 47 लाख रुपये थे. यह पांच साल में बढ़कर दो करोड़ रुपये हो गये. मंदिर के पुनरुद्धार कार्य में कितनी राशि खर्च हुई, इसकी पुख्ता जानकारी उनके पास नहीं है. उन्होंने कहा कि वे रांची से बाहर हैं. खर्च का सारा हिसाब कोषाध्यक्ष सह सदर अनुमंडल पदाधिकारी देंगे. अब तो हमारा कार्यालय भी हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि साल भर से सक्रिय नहीं हैं, पर अपने कार्यकाल में सही समय पर ऑडिट किया गया.
फ्लैग पोल के लिए मिले थे 60 लाख से अधिक
रांची पहाड़ी पर लगने वाले फ्लैग पोल लगाने के लिए न्यूक्लियस मॉल के विष्णु अग्रवाल ने 80 लाख रुपये देने की घोषणा की थी. झंडा समिति के संयोजक दीपक अग्रवाल बनाये गये थे. पूछे जाने पर श्री अग्रवाल ने बताया कि कितनी राशि खर्च हुई थी, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. सारा ब्योरा कोषाध्यक्ष हरि जालान देंगे. समिति के सुनील माथुर और अन्य ने कहा कि वे बैठकों में अब नहीं जाते हैं, इसलिए उन्हें अधिक जानकारी नहीं है.
मेकन ने पूर्व में ही ट्रस्ट को किया था आगाह
रांची : पहाड़ी मंदिर की हालत को लेकर पिछले दिनों डीसी ने कहा था कि मेकन से पूरी कंसल्टेंसी फीस वसूलेंगे. जरूरत पड़ी तो रिकवरी केस भी करेंगे. मेकन प्रबंधन ने इस बयान को गैर जिम्मेदाराना करार दिया है. मेकन प्रबंधन का कहना है कि डीसी को ट्रस्ट से पहले बात करनी चाहिए कि थी कि मेकन ने क्या कार्य किया है और कितनी बार पत्र लिखा है. पूर्व में मेकन ने चार-पांच बार ट्रस्ट को पत्र के जरिये पहाड़ी मंदिर परिसर के बारे में बताया है. मेकन ने कंसल्टेंसी रिपोर्ट के अनुसार कार्य किया. इसके बाद मंदिर के आसपास रख-रखाव के लिए कई बार ट्रस्ट को पत्र लिखा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. इस कारण पिछले कुछ वर्षों में पहाड़ी और पहाड़ी मंदिर परिसर में दरारें आ गयी हैं.
2014-15 में बनी थी रांची पहाड़ी और पहाड़ी मंदिर के जीर्णोद्धार की योजना
पानी की तरह बहाया पैसा फ्लैग पोल लगाने में खर्च हुए थे 60 लाख से अधिक
समिति के पदाधिकारी नहीं बता रहे, किस मद में खर्च हुई थी कितनी राशि

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