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आमने-सामने : हेमंत सोरेन ने सीएम रघुवर दास से पूछे 12 सवाल, भाजपा ने दिया ये जवाब, पढ़ें
गायब जमीन रैयतों को दिलायेंगे ? सवाल झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन कर मुख्यमंत्री रघुवर दास से 12 सवाल पूछे. इन सवालों में हेमंत के िनशाने पर भूमि अिधग्रहण संशोधन िबल रहा. 1.1950-51 में सीएनटी-एसपीटी एक्ट के तहत इस क्षेत्र में कितनी जमीन थी. आज […]
गायब जमीन रैयतों को दिलायेंगे ?
सवाल
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन कर मुख्यमंत्री रघुवर दास से 12 सवाल पूछे. इन सवालों में हेमंत के िनशाने पर भूमि अिधग्रहण संशोधन िबल रहा.
1.1950-51 में सीएनटी-एसपीटी एक्ट के तहत इस क्षेत्र में कितनी जमीन थी. आज कितनी जमीन बची है?
2. जो जमीन गायब है, उस पर किसका कब्जा है? क्या सभी गायब जमीन सरकार आदिवासी-मूलवासी रैयतों को वापस करायेगी?
3. 1950-51 में इस क्षेत्र में आदिवासियों की आबादी 35 प्रतिशत के लगभग थी, आज यह घट कर 26 प्रतिशत हो गयी है. क्या इसके लिए आप जिम्मेवार नहीं हैं?
4. सरकार बताये कि अब तक कितनी सरकारी योजना भूमि के अभाव में धरातल पर नहीं उतर पायी?
5. सरकार श्वेतपत्र लाकर बताये कि राज्य में सरकार पास लैंड बैंक में कितनी जमीन उपलब्ध है?
6. सरकार श्वेत पत्र जारी कर बताये कि मोमेंटम झारखंड नाम पर निजी कंपनियों को कितनी सरकारी जमीन दी गयी. इसकी दर क्या है?
सरकार जब निजी कंपनियों को सरकारी जमीन दे सकती है, तो फिर सरकारी योजनाओं के लिए सरकारी जमीन का इस्तेमाल क्यों नहीं हो सकता है?
7. निजी कंपनियां अपने व्यवसाय से लाभ कमायेंगी और उन्हें जमीन कौड़ी के भाव में दिया जाये और सरकारी योजनाओं के लिए सरकार सामाजिक प्रभाव का आकलन किये बिना मनमर्जी से जमीन अधिग्रहित करें, यह विकास का कौन सा मॉडल है?
8. प्रधानमंत्री ने भूमि अधिग्रहण बिल 2013 में संशोधन के प्रस्ताव को वापस ले लिया, तो क्या ये माना जाये कि वह विकास विरोधी हैं?
9. क्या सरकार व भाजपा बतायेगी कि राज्य में अब तक पिछली सभी सरकारों ने विकास की योजनाओं को धरातल पर नहीं उतारा?
10. क्या सरकार साढ़े तीन साल में विकास की योजनाओं को धरातल पर नहीं उतार पायी,इसलिए भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया है?
11. सरकार बताये कि कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण से किसानों और कृषि उत्पादों पर पड़ने वाले प्रभाव की भरपाई कैसे करेगी?
12. संताल परगना व कुछ अन्य क्षेत्रों में जहां रैयतों को जमीन खरीद बिक्री का अधिकार नहीं है, वैसे रैयत भूमि अधिग्रहण से प्राप्त मुआवजा का क्या करेंगे? क्या उनकी आनेवाली पीढ़ी हमेशा के लिए भूमिहीन नहीं हो जायेगी?
जब आप सीएम थे, तो क्या किया ?
जवाब
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन द्वारा मुख्यमंत्री से पूछे गये सवाल का जवाब प्रदेश भाजपा की ओर से दिया गया है. प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि हेमंत सोरेन अब डिबेट के लिए भी तैयार रहें. भूमि अर्जन कानून के संशोधनों के साथ उनके द्वारा अर्जित की गयी संपत्तियों पर भी डिबेट होगा. उन्होंने हेमंत सोरेन के सवालों का एक-एक कर जवाब दिया है, जो निम्नलिखित है.
1. पूर्व मुख्यमंत्री जब आप पर सीएनटी-एसपीटी एक्ट के उल्लंघन के आरोप लगे हैं और झारखंड की जनता आपसे ये सवाल पूछ रही है कि आखिर कैसे आपने गरीब आदिवासियों की जमीन औने पौने दामों पर खरीद ली, तो आपको 1950 याद आ रहा है. जब आप सीएम थे, तो इस मुद्दे पर क्या किया था ?
2.भ्रम और झूठ का मायाजाल फैलाना अब तो छोड़ दीजिए ? क्या ये हमारे साढ़े तीन साल के शासनकाल में हुआ है. आप जैसे नेताओं के कारण ही तो हमारे आदिवासी भाइयों को विस्थापित होना पड़ा है. उन गरीब आदिवासी भाइयों की जमीन तो आप जैसे नेता ही खरीद रहे हैं. ये सवाल तो आप अपनी जूनियर कांग्रेस और राजद से पूछिए जिसने लंबे समय तक अविभाजित बिहार में शासन किया और झारखंड की दुर्गति कर दी.
3.आप खुद भी सीएम रह चुके हैं. सड़क, बिजली, रेलवे, अस्पताल, गैस पाइपलाइन , स्कूल जैसे कई ऐसे सरकारी प्रोजेक्ट हैं, जिनके लिए भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता है और जिनके विलंब से विकास प्रक्रिया पर सीधा असर पड़ता है.
4. थोड़ा पढ़ा लिखा कीजिए हेमंत सोरेन जी ,आपकी रिसर्च टीम ने आपको आधी अधूरी जानकारी दी है. इससे संबंधित सभी आकंड़े सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं.
5. हेमंत जी ,फिर आपको याद दिलाना पड़ रहा है कि आप नेता प्रतिपक्ष हैं,आप सीएम रहे हैं. क्या आपको नहीं पता कि किसी निजी कंपनी को जमीन कैसे दी जाती है. रही दर की बात तो, वो बाजार दर के अनुसार तय होती है. इतनी जानकारी तो होनी ही चाहिए.
जिस भी निजी कंपनी को अपने उद्योग के लिए जमीन चाहिए होती है तो इंडस्ट्रियल पॉलिसी के तहत निवेशक को जमीन सीधे रैयतों से लेनी होती है.
6. किसी भी उद्योग को स्थापित करने में सरकार की सिर्फ नीति होती है. हमारी नीति के तहत हम बाजार मूल्य का चार गुना ज्यादा रैयतों को दिलवाते हैं. जब आपके पिता भी मुख्यमंत्री थे, तो गोला में मित्तल ने ऐसे ही जमीन खरीदी थी.
7.हमने सिर्फ कानून का सरलीकरण किया है, ताकि विकास को गति मिले और भू मालिकों को अधिकतम आठ महीने में मुआवजा मिल सके. पहले रैयतों को कई साल तक मुआवजे के लिए इंतजार करना पड़ता था.
8. जवाब -आपकी जानकारी फिर गलत है. निजी उद्योग के लिए और प्राइवेट संस्था के लिए सामाजिक प्रभाव का आकलन जस का तस है. लोगों को गुमराह करना छोड़िए. झारखंड की जनता मूर्ख नहीं है. अब आप आदिवासी भाइयों को नहीं बरगला सकते.
9. जवाब-आपकी जानकारी फिर गलत है.
10. जवाब-पिछली सरकार ने भी कुछ किया है,इसके लिए वो धन्यवाद के पात्र हैं. लेकिन क्या उतना पर्याप्त था. आजादी के 67 साल बाद तक झारखंड के 38 लाख परिवारों के पास ही बिजली पहुंची थी ,क्या बचे हुए 30 लाख परिवारों को आपकी नीति के मुताबिक 70 साल और इंतजार करना होगा.
11. जवाब-कृषि भूमि के अधिग्रहण की कोई योजना नहीं है लेकिन आप अपनी जानकारी दुरुस्त कर लें कि कृषि भूमि की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान इसमें बरकरार है .
12. जवाब-हमने आदिवासी या गरीब जो भूमिहीन हैं, उन्हें 12.5 डिसमिल जमीन रहने के लिए और पांच एकड़ खेती के लिए देने का निर्णय ले चुके हैं अब तक 500 से ज्यादा लोगों को इसका लाभ दिया जा चुका है.
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