पंकज कुमार पाठक
रांची :छोटे-छोटे काम शिक्षक अपने पैसे से करें. डस्टबिनलगवायें. खिड़की ठीक करवायें. बच्चों को सिर्फ आदेश मत दीजिए. आप भी काम करें. जापान में शिक्षक और छात्र मिलकर स्कूल की सफाई करते हैं. स्कूल में सुविधा नहीं होगी, तो ड्राॅपआउट होगा ही. बड़े-बड़े काम के बारे में न सोचें. छोटे-छोटे काम कीजिए. बड़ा काम हो जायेगा. हेडमास्टर और टीचर को अपने स्कूल की चिंता करनी चाहिए. विद्यार्थियों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. विद्या के मंदिर से आपका पेट चल रहा है. उसके लिए सोचिए. ये बातें झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को राजधानी रांची के नामकुम स्थित जैक सभागार में कहीं. वह राज्यस्तरीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे.
सीएम ने कहा कि स्वच्छता बेहद जरूरी है. महात्मा गांधी ने ‘स्वच्छ भारत’का सपना देखा था. सपने को पूरा करनेकाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला से आह्वान किया. तब से स्वच्छता एक आंदोलन का रूप ले रहा है. झारखंड के आठ जिले ओडीएफ हो चुके हैं. सितंबर तक पूरा झारखंड खुले में शौच से मुक्त (ओडिएफ) हो जाये,इसदिशा में काम चल रहा है. स्कूल में भी यही कोशिश है.
सीएम ने कहा कि झारखंड के2012 स्कूलोंको फाइव स्टार रेटिंग मिली. यह पुरस्कार, यह सम्मान उन्हें उनकी मेहनत की वजह से मिला. बच्चे पढ़ाई के साथ यह काम भी कर सकते हैं, उन्होंने इसे साबित कर दिया है. स्कूल के आसपास के मुहोल्लों को भी साफ रखने में विद्यार्थी योगदान दे सकते हैं. सीएम ने कहा कि राज्य में किसी चीज की कमी नहीं है. किसी व्यक्ति में कोई कमी नहीं है. कमी है, तो सिर्फ लगन की.

उन्होंने कहा कि हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं. संकल्प ले लीजिए. इसके लिए समय तय कर लीजिए.ऐसानहीं करेंगे, तो सरकारी काम वर्षों तक चलते रहेंगे. कभी पूरे नहीं होंगे. इस राज्य में काफी क्षमता है. इन तीन सालों में राज्य आगे बढ़ा है. व्यापार, स्वच्छता सभी पैमाने पर झारखंड की रेटिंग बहुत अच्छी है. और बेहतर करने की जरूरत है. इसके लिए प्लानिंग करनी होगी.
सीएम ने कहा कि नौकरी सभी करते हैं. शिक्षकों का काम राष्ट्र निर्माण करना है. तनख्वाह शिक्षकों को कम नहीं मिलती. प्राइवेट में 5 से 15 हजार रुपये और सरकारी स्कूलों में 20 से 70 हजार रुपये मिलते हैं. फिर प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूल से आगे क्यों रहे. बाजारवाद के कारण निजी स्कूल बढ़े हैं. इतने सालों में स्कूल की स्थिति नहीं सुधरी.उन्होंने कहा कि वे सीएम बने, तो पहला काम स्कूलों को सुधारने का किया.
सीएम ने कहा कि शिक्षकों की कमी का कारण स्थानीय नीति का परिभाषित नहीं होना था. हमने तीन महीने के अंदर इस पर काम किया और बहाली शुरू कर दी. इस राज्य का हर बच्चा बहुमूल्य संसाधन है. हमने स्कूलों में बेंच-डेस्क के लिए टेंडर निकाला. एक बेंच-डेस्ककीकीमत आठ हजाररुपये बतायी गयी. मैंने जमशेदपुर जाकर कारपेंटर को बुलाया. पूछा कि कितना खर्च आयेगा. उसने उसी बेंच-डेस्क की कीमत 4,200 रुपये बताये. हमने स्कूल के नजदीकी कारपेंटर को यह काम दे दिया. इससे हजारों करोड़ रुपये की बचत हुई. वर्ष 2018 तक सभी जगह बिजली पहुंचाने का सरकार ने लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि ईश्वर ने उन्हें मौका दिया है, वह लोगों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे.
इससे पहले, शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने अभिभावकों से अपील की है कि बच्चों के हाथ में एड्राॅयड मोबाइल न दें. बच्चे जो देखतेहैं, वही सीखते हैं. सरकार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी नहीं की, बल्कि पंचायतों को इसके लिए प्रेरित किया. सरकार ने कहा कि अगर पंचायतोंमें शराबबंदी हो गयी, तो उन्हें पुरस्कृत किया जायेगा. गांवों की महिलाएं आगे आ रही हैं. जागरूकता आ रही है. लोग स्वत: शराबबंदी करेंगे, तो राज्य से कई बुराइयां स्वत: मिट जायेंगी.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि विभाग को सचिव एपी सिंह, उपायुक्त चाईबासा राजकमल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को आगे बढ़ाने की कोशिश की है. मुख्यमंत्री रघुवर दास इस अभियान को आगे ले जा रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने सभी का आभार जताते हुए कहा कि इस अभियान ने जनांदोलन का रूप ले लिया है. यहां कई बच्चों ने छोटी-छोटी कहानियां सुनायीं, जो बताता है कि अभियान सफल हो रहा है.

उन्होंने कहा कि पिछले साल 27 स्कूल थे. इस बार 2012 स्कूल हैं. इससे पता चलता है कि इस अभियान से जुड़े लोग किस कदर मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालय में नौकरी मिलने पर लोग सुस्त हो जाते हैं. यह ठीक नहीं है. लोगों को और मेहनत करनी होगी.
श्रीमती यादव ने कहा, ‘हम जिस वक्त स्कूल जाते थे, उस वक्त कोई सुविधा नहीं थी. बच्चियां पीरियड के वक्त आज भी स्कूल जाने से कतराती हैं. महिला शिक्षकों को बच्चियों के साथ सहेली की तरह व्यवहार करना होगा. बदलाव आया है. ट्रेन का सफर ही देख लीजिए. पहले लोग कुछ भी खाकर कचड़ा कहीं भी फेंक देते थे. आज डस्टबिन ढूंढ़ते हैं. बदलाव आया है. बच्चों को एक दिन स्वच्छता पर कहानी, कविता लिखने का मौका दें. कई विषयों पर चर्चा कर सकते हैं.

इस अवसर पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने बुधवार को कहा कि राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की कमी शीघ्र दूर हो जायेगी. जून-जुलाई से 2100 शिक्षक स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर देंगे. उन्होंने कहा कि स्कूलों में स्वच्छता मतदान की शुरुआत हुई है. इसमें बच्चों के घर में टॉयलेट है या नहीं, इस पर सवाल पूछे जाते हैं. वोटिंग होती है. बच्चों को बाल संसद के जरिये मोटिवेट किया जाता है. ई-विद्या वाहिनी की रिपोर्ट में 1800 स्कूलों पर हुए रिसर्च का निचोड़ है. इससे पता चलता है किन स्कूलों में फर्नीचर कम हैं. किस स्कूल में क्या कमी है. रिपोर्ट के आधार पर उस कमी को दूर करने की कोशिश हो रही है.
श्री सिंह ने कहा कि कमियों की खोज की जा रही है. उसे दूर करने पर लगातार काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चों की लर्निंग कैसे बढ़ायी जाये, इस दिशा में गर्मी छुट्टी के बाद काम शुरू होगा. इस साल समग्र योजना की शुरुआत हुई है. नये वित्तीय वर्ष से बड़े स्कूलों को ज्यादा अनुदान (ग्रांट) मिलेगा. बच्चों को अब स्कूल ड्रेस के लिए 600 रुपये मिलेंगे.
जैक अध्यक्ष के स्वागत भाषण के बाद अतिथियों ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इसके बाद यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख डॉ मधुलिका जोनाथन ने ‘विद्यालय में जल एवं स्वच्छता : बच्चों पर इसका प्रभाव’ विषय पर अपनी बातें रखीं. विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बाल संसद के कार्य एवं दायित्वों पर अपने विचार साझा किये.
पंचायती राज विभाग के सचिव विनय चौबे ने पंचायत में ‘स्वच्छता सभा’ (हर महीने की 2 तारीख) : 14वें वित्त आयोग के कार्य के बारे में जानकारी दी. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने विद्यालय स्वच्छता दिवस की रूपरेखा के बारे में बताया. अतिथियों ने इस अवसर पर ‘परिवर्तन की कहानियां’ पुस्तक का विमोचन भी किया.