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झारखंड : निर्देश नहीं माननेवालों पर कार्रवाई नहीं, समझ से परे : सरयू राय
मंत्री सरयू राय ने कार्य विभागों द्वारा योजनाअों को अपलोड नहीं करने पर लिखा सीएम को पत्र रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कार्य विभागों द्वारा योजनाअों की विस्तृत सूचनाएं अपलोड नहीं करने के मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. उन्हें बताया गया कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने पथ विभाग सहित […]
मंत्री सरयू राय ने कार्य विभागों द्वारा योजनाअों को अपलोड नहीं करने पर लिखा सीएम को पत्र
रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कार्य विभागों द्वारा योजनाअों की विस्तृत सूचनाएं अपलोड नहीं करने के मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.
उन्हें बताया गया कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने पथ विभाग सहित भवन निर्माण, जल संसाधन, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, कृषि विभाग, कृषि एवं पशुपालन व ऊर्जा विभाग को पत्र लिख कर योजनाअों की विस्तृत जानकारी सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा था, पर ये सूचनाएं उपलब्ध नहीं करायी गयी. यहां तक कि लंबे समय तक इन निर्देशों का पालन नही करनेवालों पर कार्रवाई नहीं होना, समझ से परे व रहस्यमय है.
मंत्री श्री राय ने लिखा कि पथ विभाग में गत चार-पांच वर्षों में बने व निर्माणाधीन पथों का ट्रैफिक सर्वे, एक्सल लोड सर्वे, लोड कैरिंग कैपिसिटी की गणना व मिट्टी जांच की रिपोर्ट देख लेने पर सड़कों के रोड क्रस्ट डिजाइन व निर्माण की गुणवत्ता पता चल जायेगा. हेराफेरी होने पर बात सामने आ जायेगी. यही वजह है कि आदेशों का पालन नहीं हो रहा है.
श्री राय ने लिखा कि भवन सचिव व विकास आयुक्त की अनुशंसा पर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने टेंडर निष्पादन में अनियमितता के मामले पर संबंधित अभियंता व मुख्य अभियंता पर कार्रवाई का आदेश दिया था, लेकिन ये अभियंता अभी भी भवन विभाग में सर्वेसर्वा बने हुए हैं. अभियंता प्रमुख सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं. यही स्थिति पथ निर्माण व ग्रामीण कार्य विभाग में शीर्ष पदों पर है. वरीयता क्रम में काफी नीचे होने के बावजूद यह समूह एक साथ कई महत्व वाले पदों पर लंबे समय से है.
जांच की जाये कि प्रधान सचिव ने संरक्षण क्यों दिया : मंत्री ने लिखा कि विधानसभा की प्रत्यायुक्त विधान समिति का वर्ष 2013-14 का प्रतिवेदन पांच मार्च 2014 को उपस्थापित किया गया. इस पर विचार करना जरूरी है.
समिति ने पाया कि भवन विभाग में टेंडर मैनेज किया जा रहा है और अभियंता प्रमुख के तकनीकी सचिव रास बिहारी सिंह की भूमिका संदेहास्पद है. उन्होंने टेंडर मैनेज किया. ऐसे में उनकी संपत्ति की जांच निगरानी विभाग तीन माह के अंदर करें और दोषी को दंडित करें. साथ ही इसकी जांच भी की जाये कि प्रधान सचिव ने इन्हें संरक्षण क्यों दिया. आज भी यह व्यक्ति पथ निर्माण विभाग का सर्वेसर्वा बना हुआ है.
सूचनाएं मांगी थी, नहीं दी गयी : मंत्री ने लिखा कि समिति ने सूचनाएं मांगी थी, पर सूचनाएं नहीं दी गयी. बार-बार स्मारित करने के बाद भी तत्कालीन प्रधान सचिव राजबाला वर्मा न तो समिति की बैठक में आयीं और न ही सूचनाएं भेजवायी.
मंत्री ने लिखा कि विभागीय गड़बड़ियों को छुपाने के लिए एेसा जानबूझ कर किया गया. समिति ने पाया कि भवन विभाग में टेंडर मैनेज किया जाता है. फिर भी चिह्नित अभियंताअों पर कार्रवाई नहीं की गयी. वे बड़े पदों पर आज भी हैं.
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