आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है. इस दिवस की प्रासंगिकता इसलिए भी बहुत है क्योंकि आज भी हमारे देश में बालिकाओं के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें लड़कों से कमतर माना जाता है. स्थिति की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक बच्ची को कोख में मारने की कवायद हमारे देश में बदस्तूर जारी है. यहां तक कि जन्म के बाद उसके साथ खानपान, शिक्षा और यहां तक कि स्वास्थ्य के मामलों में भी भेदभाव किया जाता है. सरकार ने इस स्थिति को बदलने के लिए कई योजनाएं बनायी हैं और बालिकाओं को कई अधिकार भी दिये हैं, बावजूद इसके हमारे देश में बालिकाओं की स्थिति बहुत बेहतर नहीं कही जा सकती.
लिंगानुपात
हमारे देश में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति एक हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या 940 है. प्रति एक हजार पुरुष पर सबसे कम महिलाएं हरियाणा (830), पंजाब (846), जम्मू कश्मीर (859) हैं. जबकि 0-6 वर्ष के आयु वर्ग में लिंगानुपात 918 है, जो वर्ष 2001 की जनगणना में प्रति एक हजार लड़कों पर 927 था. अगर सिर्फ बिहार, झारखंड और बंगाल के आंकड़ों पर गौर करें, तो स्थिति बहुत ही भयावह है क्योंकि तीनों ही राज्यों में 0-6 वर्ष के आयु वर्ग में लिंगानुपात घटा है. झारखंड में वर्ष 2001 में लड़कियों की संख्या 965 थी, जो 2011 में घटकर 948 हो गयी, यानी 17 प्रतिशत, बंगाल में 2001 में संख्या 960 जो थी घटकर 956 हो गयी, वहीं बिहार में यह संख्या 942 से घटकर 935 हो गयी है.
साक्षरता
भारत में साक्षरता के दर में तो वृद्धि हुई है , लेकिन आज भी हमारे देश में महिलाओं में साक्षरता की दर पुरुषों के अपेक्षा कम है. पूरे देश की बात करें, तो महिलाओं में साक्षरता की दर 68.4 है, जबकि झारखंड में यह दर 59 प्रतिशत है. वहीं बिहार में महिला साक्षरता दर 54 प्रतिशत और बंगाल में 71.16 प्रतिशत है.
कुपोषण
भारत विश्व के उन देशों में शुमार है, जहां कुपोषण का दर 55 प्रतिशत है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4(एनएफएचएस-4) 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में पांच वर्ष तक के 47.8 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. जबकि बिहार की स्थिति कुछ बेहतर है जहां 43.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. लड़कियों की संख्या का एक तिहाई हमारे देश में कुपोषण का शिकारहै .
बाल विवाह
हमारे देश में बालिकाओं की स्थिति जिस वजह से समस्या का कारण बनती है वह बाल विवाह. पूरे देश की बात करें तो हमारे देश में 26.8 प्रतिशत महिलाओं का बाल विवाह होता है. सबसे ज्यादा बाल विवाह बंगाल में 40 प्रतिशत, बिहार में 39 प्रतिशत और झारखंड में 38 प्रतिशत है. बाल विवाह के कारण लड़कियां जल्दी मां बनती हैं और पोषाहार के अभाव में एनीमिया जैसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं.
यह भी पढ़ें :-