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लालू को रास नहीं आ रहा जेल का खाना, मेस पहुंचे और कुक को हटाया फिर…

रांची: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को बिरसा केंद्रीय कारा, होटवार का खाना रास नहीं आ रहा है. इसका उपाय उन्होंने खुद निकाला और भोजन बनाकर खाना शुरू कर दिया है. मंगलवार को लालू कारा के अपर डिवीजन सेल में बने मेस में पहुंचे. जेल के कुक को हटाकर अपने पसंद की नेनुआ की सब्जी, साग […]

रांची: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को बिरसा केंद्रीय कारा, होटवार का खाना रास नहीं आ रहा है. इसका उपाय उन्होंने खुद निकाला और भोजन बनाकर खाना शुरू कर दिया है. मंगलवार को लालू कारा के अपर डिवीजन सेल में बने मेस में पहुंचे. जेल के कुक को हटाकर अपने पसंद की नेनुआ की सब्जी, साग व करेला का भुजिया खुद तैयार किया. इससे पहले रोजाना की तरह जेल परिसर में मॉर्निंग वॉक के बाद चाय पी़ फिर अखबारों को सरसरी निगाहों से देखा.

समर्थक नहीं मान रहे जेल प्रशासन का फरमान
दूसरी तरफ हर सोमवार को सिर्फ तीन लोगों से मुलाकात के जेल प्रशासन के फरमान के बाद भी काफी संख्या में राजद नेता और कार्यकर्ता लालू से मिलने जेल पहुंचे. इनमें लालू के खास दरभंगा के बहादुरपुर विधायक भोला यादव के अलावा विधायक रामानुज सिंह सहित अन्य शामिल थे. लेकिन किसी को भी जेल प्रशासन ने मिलने नहीं दिया. भोला खुद लालू की मनपसंद सब्जी कटहल, सहजन, नेनुआ और देहाती अरहर की दाल लेकर आये थे. वे लालू से मिल तो नहीं सके, लेकिन उक्त सामग्री जेल में उनके पास भिजवा दिया. लालू से मिलने वालों में जनार्दन पासवान, बिहार के एमएलसी रणविजय सिंह भी पहुंचे थे़ इस दौरान राजद नेता अनिल सिंह आजाद व विजय यादव भी वहां मौजूद थे. लेकिन कोई लालू से नहीं मिल सके. इस वजह से सभी निराश नजर आये.

जेल की यातना से बड़ी सजा है अपने नेता से नहीं मिलने देना : भोला
भोला यादव ने कहा कि लालू के जेल जाने से संगठन कमजोर नहीं बल्कि और मजबूत हुआ है़ उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे गांव-गांव जायें और लालू का संदेश दे़ं गांव का हर कार्यकर्ता लालू है़ लालू अपने आप में एक संस्था है़ं जेल मैनुअल के अनुसार लालू से सप्ताह में तीन लोगों को मिलने देना, जेल की यातना से बड़ी सजा है़ यदि एक कार्यकर्ता को उसके नेता से नहीं मिलने दिया जायेगा, तो वह कुंठित हो जायेगा. लालू को अपने कार्यकर्ताओं से मिलने नहीं देना एक साजिश है. लोगों से नहीं मिलने देना लालू को परेशान करने का प्रयास है़ इसके बावजूद जेल प्रशासन ने जो आदेश दिया है उसे वे लोग मानेंगे.

पहले तो ऐसी बंदिश नहीं थी
इन नेताओं के अलावा भी मंगलवार को लालू प्रसाद से मिलने के लिए अलग-अलग जिलों से राजद कार्यकर्ताओं व नेताओं की भीड़ जेल गेट के पास लगी रही. पुलिसकर्मियों ने उन्हें बताया कि जेल मैनुअल के अनुसार एक सप्ताह में तीन लोग ही मिल सकते है़ं उसके बाद नेता व कार्यकर्ता निराश हाेकर वापस चले गये़ कुछ नेताआें ने कहा कि जब 2013 में लालू प्रसाद जेल में बंद हुए थे, तो इस प्रकार की बंदिश नहीं थी, लेकिन भाजपा सरकार होने के कारण उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.


सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम

कार्यकर्ताओं को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. जेल के मुख्य गेट से आधा किलोमीटर पहले सोमवार को जो बैरिकेडिंग की गयी थी, वह व्यवस्था मंगलवार को भी दिखी. सोमवार को जैप, क्यूआरटी व जिला पुलिस की तीन बटालियन लगायी गयी थी़ किसी भी व्यक्ति की जेल की ओर जाने से पहले पूरी जांच की जा रही थी, उसके बाद उन्हें जेल गेट की ओर जाने दिया जा रहा था़ ज्ञात हो कि जेल के मुख्य गेट से होकर मेधा डेयरी, जैप-10 का क्वार्टर, स्टेट फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी जाने का रास्ता है़ इसलिए काफी लोग पैदल व वाहनों से उस ओर जाते है़ं

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