न ही अब तक जहरीली शराब की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट ही सामने आयी है, लेकिन घटना में जिन लोगों की मौत हुई और पोस्टमार्टम में मौत का कारण अल्कोहलिक प्वाइजनिंग आया, उस आधार पर टीम ने आशंका व्यक्त की गयी है कि शराब में इथाइल अल्कोहल की जगह मिथाइल अल्कोहल का प्रयोग किया गया होगा. यही अल्कोहल जानलेवा साबित हुई.
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रांची : जहरीली शराब की नहीं आयी फोरेंसिक जांच रिपोर्ट, मिथाइल अल्कोहल से मौत का अंदेशा
रांची : जहरीली शराब से मौत मामले में गुरुवार को रांची के प्रमंडलीय आयुक्त डीएन मिश्रा ने गृह विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे को रिपोर्ट सौंप दी है. जहरीली शराब से कुल कितने लोगों की मौत हुई है, इसका खुलासा रिपोर्ट में नहीं हुआ है. न ही अब तक जहरीली शराब की फॉरेंसिक जांच […]
रांची : जहरीली शराब से मौत मामले में गुरुवार को रांची के प्रमंडलीय आयुक्त डीएन मिश्रा ने गृह विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे को रिपोर्ट सौंप दी है. जहरीली शराब से कुल कितने लोगों की मौत हुई है, इसका खुलासा रिपोर्ट में नहीं हुआ है.
टीम ने जांच में यह भी पाया कि पूरे प्रदेश में मिथाइल अल्कोहल का लाइसेंस किसी को नहीं है. फिर यह आया कहां से और इसके पीछे कौन है, इसकी गहनता से जांच की जरूरत बतायी गयी. पूरे प्रकरण में 17 लोगों के मरने की बात विभिन्न स्रोतों से जांच टीम को पता चली है, लेकिन पूरी जांच के बाद ही सही संख्या सामने आ पायेगी. संभव है कि सीआइडी से इस मामले की जांच फिर से करायी जा सकती है.
उल्लेखनीय है कि जहरीली शराब की घटना के लिये स्थानीय थाना क्षेत्र की पुलिस, स्थानीय एक्साइज के पदाधिकारी और जैप के कनीय कर्मियों की लापरवाही उजागर हुई है.
एक भी गवाह नहीं आया सामने
मामले की जांच के दौरान रांची के प्रमंडलीय आयुक्त के स्तर से लोगों से अपील की गयी थी कि वे आकर अपना पक्ष रखेें, लेकिन एक भी व्यक्ति प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय नहीं पहुंचा. जांच टीम ने खुद पीड़ित पक्ष, जैप के कर्मियों, स्थानीय पुलिस के कर्मियों और नामकुम के जोरार बस्ती जाकर ग्रामीणों से मामले की जानकारी लेने की कोशिश की.
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