धर्म, संस्कृति और भाषा को बचाने के लिए समाज को आगे आना होगा
वनवासी कल्याण केंद्र का प्रांतीय सम्मेलन
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आदिवासी-जनजाति समाज के जीवन स्तर में बदलाव के लिए सरकार काम कर रही है. आजादी के 70 साल बाद भी उनका विकास नहीं हो पाया है. सरकार उनके जीवन स्तर में बदलाव के लिए काम कर रही है. जब तक हम इनका विकास नहीं करेंगे भारत विश्वगुरू नहीं बन पायेगा. मुख्यमंत्री वनवासी कल्याण केंद्र के झारखंड प्रांत के प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि संस्कृति को बचाने और बनाये रखने में आदिवासी-जनजाति समाज का योगदान अग्रणी रहा है. कुछ राष्ट्र विरोधी शक्तियां गरीब आदिवासियों को बरगला रही हैं. इनसे हमें सचेत रहना है. अपने धर्म, संस्कृति और भाषा को बचाए रखने के लिए समाज को आगे आना होगा.
श्री दास ने कहा कि बिरसा मुंडा केवल आदिवासी समाज के महापुरुष नहीं थे. वह पूरे देश के महापुरुष थे और रहेंगे. उन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. हमारे झारखंड के और भी कई महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने देश और समाज को दिशा दी है. हमें उनका अनुसरण करना है. श्री दास ने कहा कि गरीबों को बीपीएल परिवारों को रोजगार से जोड़ कर उन्हें गरीबी के कलंक से बाहर निकालने के लिए काम किये जा रहे हैं. इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित कर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है.
सरकार झारखंड के 17 जिलों के पिछले 68 प्रखंडों में बीपीएल परिवारों को समृद्ध बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है. हर साल 1000 पंचायतों में रहने वाले बीपीएल परिवारों को सक्षम बनाकर उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर उठाने का काम किया जा रहा है. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ एचपी नारायण ने की. बैठक में वनवासी कल्याण केंद्र के झारखंड प्रांत के अध्यक्ष डॉ एचपी नारायण, उपाध्यक्ष सज्जन सर्राफ, रिच्छु कच्छप, वन संरक्षक जेठा नाग, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद सिंह, क्षेत्रीय संगठन मंत्री मणि पाल,देवव्रत पाहन, विधायक शिव शंकर, रामकुमार पाहन, मेयर आशा लकड़ा, अखिल भारतीय बालिका छात्रावास की प्रमुख तपसी मैत्रेय समेत बड़ी संख्या में वनवासी कल्याण केंद्र से जुड़े लोग उपस्थित थे.
अपने धर्म व संस्कृति को बचाना जरूरी: सोमया
वनवासी कल्याण केंद्र के अखिल भारतीय संगठन मंत्री सोमया जुलू ने कहा कि धर्म और संस्कृति को बचाना जरूरी है. इसे कैसे बचाना है इस पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने वनवासी कल्याण केंद्र के कार्याकलापों का जिक्र करते हुए कहा कि इस वर्ष 300 वनवासी जिलों में सम्मेलन किया जाना है. इसमें वनवासियों की समस्याओं का हल कैसे किया जाये इस पर विस्तार से चर्चा की जायेगी. सम्मेलन के जरिये वनवासियों को जोड़ने का भी काम किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि सरकार की जितनी भी योजनाएं जनजातियों के लिए चलायी जा रही हैं उनकी जानकारी उन्हें दी जाये. उन्होंने बताया कि देश भर में 14 हजार वनवासी गांव हैं, उनमें 21 हजार प्रकल्प चलाये जा रहे हैं. 300 जनजातियां हैं. उनको मुख्य धारा में लाने के लिए कई सेवा प्रकल्प भी चलाये जा रहे हैं. 4000 ग्राम आरोग्य केंद्र हैं. वनवासी कल्याण केंद्र के पदाधिकारी प्रणय दत्त ने कहा कि झारखंड में धर्मांतरण 140 वर्ष पहले ही शुरू हो चुका था. इसका कारण अशिक्षा है. अशिक्षा के कारण जनजातियों के भोलेपन का फायदा उठाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि धर्मांतरण अधिनियम लाकर मुख्यमंत्री ने उल्लेखनीय कार्य किया है.