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488 पंचायत भवनों का निर्माण अाज तक लंबित

रांची: राज्य के सभी 4398 पंचायत भवनों (पंचायत सचिवालय) का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है. पंचायती राज विभाग की 31 जुलाई तक की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 488 पंचायत भवनों का निर्माण कार्य अब भी चल रहा है. वहीं 37 भवन बनने शुरू ही नहीं हुए हैं. इनमें से 16 पंचायत भवन […]

रांची: राज्य के सभी 4398 पंचायत भवनों (पंचायत सचिवालय) का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है. पंचायती राज विभाग की 31 जुलाई तक की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 488 पंचायत भवनों का निर्माण कार्य अब भी चल रहा है. वहीं 37 भवन बनने शुरू ही नहीं हुए हैं. इनमें से 16 पंचायत भवन का मामला कोर्ट में रहने, कुल 11 भवनों में जमीन विवाद रहने तथा दो अन्य कारणों से शुरू नहीं हुए हैं. सबसे खराब स्थिति पलामू जिले की है, जहां कुल 283 पंचायतों में से 101 का भवन अाज तक अपूर्ण है. पर इस जिले में कोई न्यायालय वाद या जमीन विवाद नहीं है.

सर्वाधिक अपूर्ण या लंबित पंचायत भवन के मामले में दूसरा स्थान पू सिंहभूम (61) तथा तीसरा स्थान गढ़वा जिले (50) का है. जिलों में पंचायत भवन निर्माण की जिम्मेवारी मुख्य रूप से उपायुक्त की ही है. इससे पहले महालेखाकार (एजी) ने भी राज्य भर में पंचायत भवन निर्माण की धीमी रफ्तार पर सवाल उठाया था. अप्रैल से जुलाई-12 तक की इस जांच रिपोर्ट से पता चला था कि कुल 4398 पंचायतों में से 351 की योजना ही नहीं बनी थी. हालांकि गत तीन वर्षों के दौरान ग्रामीण विकास विभाग ने काम में तेजी लाकर स्थिति सुधारी है.
खूंटी में 14 प्राथमिकी
खूंटी जिले में पंचायत भवन निर्माण की धीमी रफ्तार तथा एडवांस लेकर काम शुरू न करने के अारोप में उपायुक्त ने 14 अभियंताअों के खिलाफ पहले ही प्राथमिकी दर्ज करायी थी. उधर, हजारीबाग की एक पंचायत तथा पलामू की पांच पंचायतें नगर निगम में शामिल किये जाने के लिए प्रस्तावित हैं. इसलिए इनका भवन नहीं बनाया जा रहा है. उधर, सरायकेला जिले के अोरेया पंचायत भवन का चिह्नित स्थल डूब क्षेत्र में आ गया है. यहां स्थल बदल कर ही पंचायत भवन बनेगा.

भवन की उपयोगिता
ग्राम (पंचायत), मध्यवर्ती (प्रखंड) व जिला (परिषद) की त्रि-स्तरीय व्यवस्था वाले पंचायती राज के तहत विकास कार्य पंचायतों के माध्यम से किये जाने हैं. इसके लिए राशि, कार्य आवंटन व कार्य बल के जरिये पंचायतों को स्वशासी संस्था के रूप में विकसित करना है. इसके तहत हर पंचायत में पंचायत भवन (सचिवालय) बनना है. भवन का इस्तेमाल बतौर पंचायत कार्यालय, ग्राम सभा की बैठक, ग्रामीण विकास योजनाओं के चयन, मनरेगा के संबंध में जानकारी देने, जनता के शिकायत निवारण तथा आइसीटी (कंप्यूटर) की मदद से पंचायत से जुड़े आंकड़े इकट्ठे करने के लिए किया जाना है. जिन पंचायतों का भवन निर्माण नहीं हुआ है, वहां सामुदायिक भवन या किसी अन्य भवन में कामचलाऊ व्यवस्था के तहत काम चलाया जा रहा है.
जिलावार लंबित पंचायत भवन का ब्योरा
हजारीबाग (16), रामगढ़ (54), धनबाद (4), बोकारो (14), चतरा (13), कोडरमा (तीन), गिरिडीह (49), रांची (22), खूंटी (22), गुमला (13), लोहरदगा(एक), सिमडेगा (एक), प सिंहभूम (43), पू सिंहभूम (61), सरायकेला-खरसावां (अाठ), दुमका (चार), पाकुड़ (14), गोड्डा (13), साहेबगंज (13), देवघर (तीन), लातेहार (तीन), गढ़वा (50) तथा पलामू (101).

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