श्री केरकेट्टा ने कहा है कि धर्मांतरण व्यक्तिगत आस्था का सवाल है़ इसी आस्था से कई लोग आदिवासी से ईसाई, हिंदू से ईसाई, आदिवासी से मुसलिम और ईसाई से मुसलिम बने हैं. आदिवासी समाज की एक बड़ी आबादी हिंदू धर्म स्वीकार कर रही है़ उसके कर्मकांड में अपनी आस्था व्यक्त कर रही है़ इस दृष्टिकोण से धर्मांतरण का सवाल आदिवासी के हिंदू बनाये जाने के तरफ भी इंगित करता है़ .
यदि धर्मांतरण बिल लाकर आदिवासी समुदाय की प्रकृति के प्रति प्राचीन धार्मिक आस्था की रक्षा की पहल की जाती है, तो यह एक अच्छा प्रयास होगा़ महासंघ के महासचिव ने कहा कि आदिवासियों की धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान और अस्तित्व के लिए जनगणना में अलग कॉलम होना चाहिए़ ईसाई मिशनरियों को बदनाम करने के लिए ईसाई और गैर ईसाई आदिवासी के बीच वैमनस्यता पैदा करने की कोशिश हो रही है़ आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए बात नहीं होती है़ आदि धर्म कोड बनाये जाने पर सरकार को पहल करनी चाहिए़ केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है, इसके बीच ईसाई मिशनरी कहां आती है़ महासंघ ने मांग की है कि आगामी विधानसभा सत्र में सरकार यह बिल लाये और इस मुद्दे पर सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाले पर कार्रवाई करे़