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खाद्य आपूर्ति: कंप्यूटर के उपयोग से खाद्य आपूर्ति विभाग ने बचाये 350 करोड़ रुपये

रांची: राज्य के खाद्य आपूर्ति सचिव विनय कुमार चौबे ने कहा है कि कंप्यूटर के उपयोग से राशन आपूर्ति की प्रणाली में अपेक्षित सुधार हुआ है. इससे वास्तविक लाभुकों को योजना का लाभ मिल रहा है. साथ ही राज्य सरकार को 350 करोड़ रुपये की बचत हुई है. श्री चौबे गुरुवार को सूचना भवन में […]

रांची: राज्य के खाद्य आपूर्ति सचिव विनय कुमार चौबे ने कहा है कि कंप्यूटर के उपयोग से राशन आपूर्ति की प्रणाली में अपेक्षित सुधार हुआ है. इससे वास्तविक लाभुकों को योजना का लाभ मिल रहा है. साथ ही राज्य सरकार को 350 करोड़ रुपये की बचत हुई है. श्री चौबे गुरुवार को सूचना भवन में विभाग की उपलब्धियों को लेकर प्रेस वार्ता कर रहे थे.

श्री चौबे ने बताया कि राज्य में 57.29 लाख परिवारों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का लाभ पहुंचाया जा रहा है. जन वितरण प्रणाली कंप्यूटरीकृत हो चुकी है. लाभुकों की आधार संख्या की सीडिंग के बाद ही नये राशन कार्ड वितरित किया गया है. वहीं, खाद्यान्न का वितरण बायोमेट्रिक सिस्टम के माध्यम से किया जा रहा है. तकनीक के उपयोग से अब तक 10.38 लाख अवैध राशन कार्ड रद्द किये जा चुके हैं. वहीं, 9.31 लाख वास्तविक लाभुकों को राशन कार्ड दिया गया है. सामान्य कोटि के 4.60 लाख परिवारों को सफेद राशन कार्ड वितरित किये जा चुके हैं.

4.72 लाख परिवारों को दिया मुफ्त गैस कनेक्शन
श्री चौबे ने बताया : प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में में 4.72 लाख परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया है. अक्तूबर 2018 तक 28.5 लाख परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य है. श्री चौबे ने कहा कि बिचौलियों को दूर रखने के लिए धान अधिप्राप्ति योजना को पूर्ण रूप से कंप्यूटरीकृत किया गया है. मौके पर विभाग के संयुक्त सचिव विनय कुमार राय व निदेशक सुनील कुमार सिन्हा आदि मौजूद थे.
जुलाई से शुरू हो जायेगा राज्य में राशन कार्ड मैनेजमेंट सिस्टम
श्री चौबे ने बताया कि जुलाई से राशन कार्ड मैनेजमेंट सिस्टम शुरू होगा. इसके बाद लाभुक राशन कार्ड की त्रुटियां ऑनलाइन दुरुस्त कर सकेगा. साथ ही निबंधन भी करा सकेगा. पीवीटीजी डाकिया योजना के तहत आदिम जनजाति परिवारों को उनके घर तक खाद्यान्न पहुंचाया जा रहा है. 11 जिलों में डीबीटी से लाभुकों के खाते में सब्सिडी की राशि दी जा रही है. एफसीआइ से माल ढोने के लिए उपयोग में आनेवाली गाड़ियों को जीपीएस सिस्टम से जोड़ा गया है. डाटा मैच होने के बाद ही गाड़ियों का भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है.

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