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कर्ज, तंगी और तनाव में पिठोरिया के किसान, दे रहे जान

किसानों ने कहा, हमसे अच्छी तो रोजाना काम करनेवाले मजदूरों की है जिंदगी अमन तिवारी रांची : पिठोरिया के समिलबेड़ा गांव निवासी किसान कलेश्वर महतो और सुतियांबे गांव के किसान बालदेव महतो की मौत पिछले दिनों हो गयी़ मृतक किसानों के परिजनों के अनुसार, दोनों आर्थिक तंगी और कर्ज के दबाव में थे. इस कारण […]

किसानों ने कहा, हमसे अच्छी तो रोजाना काम करनेवाले मजदूरों की है जिंदगी
अमन तिवारी
रांची : पिठोरिया के समिलबेड़ा गांव निवासी किसान कलेश्वर महतो और सुतियांबे गांव के किसान बालदेव महतो की मौत पिछले दिनों हो गयी़ मृतक किसानों के परिजनों के अनुसार, दोनों आर्थिक तंगी और कर्ज के दबाव में थे. इस कारण दोनों ने आत्महत्या कर ली. हालांकि प्रशासन भी अपने स्तर से मामले की जांच कर रहा है़ लेकिन यह सिर्फ दो किसानों की बात नहीं, पिठोरिया गांव के अधिकतर किसान आर्थिक तंगी और ऋण के बोझ से दबे हैं. किसानों से बातचीत में मामला सामने आया है कि अधिकतर कृषक कर्ज में डूबे हैं.
किसान सुरेंद्र गोप, सहरू मुंडा, राजेश्वर साहू और शिव शंकर मुंडा ने बताया कि आर्थिक तंगी से परेशान कोई आत्महत्या कर ले, तो बड़ी बात नहीं होगी. किसानों ने बताया कि उनके पास गांव में खेती बारी के अलावा रोजगार का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. गांव में सिंचाई की सुविधा नहीं है. इस कारण वे ठीक से खेती नहीं कर पाते हैं. बीज- खाद और उपकरण महंगे हो गये हैं. बैंक से जो ऋण मिलता है, वह खेती के जरूरी सामान खरीदने के लिए काफी नहीं होता है.
ऐसे में खेती-बारी कर बैंक का कर्ज चुकाने से लेकर घरेलू खर्च, बच्चों की पढ़ाई- लिखाई और दूसरे काम करने पढ़ते हैं. इसके कारण किसानों के पास पैसे नहीं बचते. हमेशा ऋण के बोझ से दबे होते हैं. आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं.
कहां- कहां होते है पिठोरिया में उपजाये गये सब्जी का सप्लाई
धनबाद, पश्चिम बंगाल, भुवनेश्वर और दूसरे राज्यों व स्थानीय बाजारों में उपज सप्लाई की जाती है. इसके अलावा छोटे स्तर पर खेती करने वाले किसान स्थानीय बाजार में अपनी सब्जी की बिक्री करते हैं.
किसानों के पास ऋण लेने के कौन- कौन से माध्यम
– किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण
– गांव में गठित स्थानीय महिला समिति
– स्थानीय साहूकार सा रिश्तेदार
– बाहर के कमीशन एजेंट
शिव शंकर मुंडा ने खेतीबारी के लिए 30 हजार रुपये ऋण
सुतियांबे गांव निवासी किसान शिव शंकर मुंडा ने बताया कि वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ तीन एकड़ जमीन में सामूहिक रूप से खेती करते हैं. खेती के लिए तीन साल पूर्व बैंक से 30 हजार रुपये केसीसी ऋण लिया था. 28 हजार जमा कर चुके हैं, दो हजार जमा करना बाकी है. शिव शंकर मुंडा ने बताया कि बैंक से ऋण लेने के बाद कभी कोई परेशानी तो नहीं हुई, लेकिन आर्थिक तंगी रही. दो पुत्र और तीन पुत्री हैं. एक पुत्री का विवाह कर चुके हैं.
खेतीबारी के लिए लिया है 90 हजार रुपये ऋण
पिठोरिया के बालू गांव निवासी किसान सुरेश राम ने बताया कि वह दो एकड़ जमीन में खेती करते हैं. बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये 90 हजार रुपये ऋण लिया था. खेती से प्राप्त आय से ही बच्चों की पढ़ाई- लिखाई का खर्च चलाते हैं. अधिक आय प्राप्त नहीं होने पर उन्होंने राशन दुकान भी खोल ली है. इसके बावजूद परिवार आर्थिक तंगी से परेशान रहता है.
पिठोरिया क्षेत्र के किसानों पर बैंक के केसीसी का ऋण नौ करोड़ 64 लाख 63 हजार रुपये है. ऋण बैंक ऑफ इंडिया, झारखंड ग्रामीण बैंक व केनरा बैंक से निर्गत है. बैंक ऑफ इंडिया ने 5 करोड़ 17 लाख 38 हजार (1602 केसीसी), झारखंड ग्रामीण बैंक ने एक करोड़ 94 लाख 63 हजार (456 केसीसी) और केनरा बैंक ने दो करोड़ 52 लाख 42 हजार (610 केसीसी) रुपये लोन दिये हैं. दूसरी ओर कमीशन एजेंटों (कोलकाता, दुर्गापुर, आसनसोल, बर्दवान, कटक, भुवनेश्वर, पुरी, धनबाद, झरिया, जमशेदपुर सहित अन्य जगहों से) से भी लगभग 11 करोड़ रुपये का ऋण किसान ले रखे हैं. शर्त यह है कि किसान ने जिस एजेंट से ऋण लिया है, अपनी उपज वह उसी को देगा. इस वजह से किसानों की आय की मोटी रकम कमीशन एजेंट खा जाते हैं.
50 हजार ऋण के दबाव में हैं सुरेंद्र गोप
सुतियांबे गांव के किसान सुरेंद्र गोप ने बताया कि वह 80 डिसमिल जमीन में खेती करते हैं. केसीसी से पांच साल पूर्व 50 हजार का ऋण लिया था. पर चुका नहीं पाये हैं. सुरेंद्र गोप ने बताया, खेती से इतनी आमदंनी नहीं होती कि समय पर ऋण वापस कर सकें.
एक बार बैंक ने तगादा किया था, पर वह आश्वासन देकर बैंकवाले को समझा लेते हैं. उन्होंने बताया, दो बच्चों की पढ़ाई- लिखाई को लेकर भी परेशान हैं. समय- समय पर दूसरे लोगों से उधार लेकर खेती-बारी करते हैं. गांव में सिंचाई की बेहतर सुविधा भी नहीं है.
राजेश्वर साहू ने 90 हजार लिया है ऋण
पिठोरिया निवासी किसान राजेश्वर साहू ने बताया कि वह दो एकड़ जमीन में खेती करते हैं. 1. 5 किमी दूर से खेत तक पानी लाकर सिंचाई करते हैं. उन्होंने खुद के नाम पर केसीसी के जरिये 50 हजार और पत्नी के नाम पर 40 हजार लोन लिये हैं.
करीब चार-पांच साल हो गये, पर बैंक ऋण वापस नहीं कर पाये. खेती से इतनी आय नहीं होती कि दो लड़कों को पढ़ाने और घरेलू खर्च पूरा करने के बाद पैसे बचा पाये. खेती के लिए दूसरे लोगों से भी चार लाख रुपये से अधिक कर्ज लिया है. आर्थिक तंगी और ऋण के दबाव से परेशान हैं.
खेती से आमदनी नहीं खाते में हैं सिर्फ 5000
सुतियांबे के किसान सहरू मुंडा (75) ने बताया कि एक एकड़ जमीन पर सब्जी लगाते हैं. फिलहाल बोदी की फसल लगायी है. गोभी का बिचड़ा तैयार कर रहे हैं. कहते हैं, खेती से क्या आमदनी होगी, वर्षों से सिर्फ पांच हजार ही एकाउंट में जमा कर पाया हूं.
कर्ज के झमेले में नहीं फंसना चाहता, इसलिए नहीं लिया. परिवार के कुछ सदस्यों से रुपये लेकर बीज खरीद लेता हूं. एक कुआं है, पर इसमें अधिक पानी नहीं हैं. गांव में सिंचाई की दूसरी सुविधा नहीं है. ऐसी में किसान आर्थिक तंगी से परेशान नहीं रहे तो और क्या होगा.

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