पाटऩ ़ पलामू जिला शिक्षा अधीक्षक के निर्देश का बावजूद भी शिक्षक अपने मूल विद्यालय में योगदान नहीं दिये. डीएसइ संदीप कुमार द्वारा जिले के प्रतिनियोजित शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द कर दिया गया है. इससे संबंधित जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के पत्रांक 1029 दिनांक 30 जुलाई के माध्यम से निर्देश भी जारी कर दिया गया है. जिसमें दो दिनों के भीतर प्रतिनियोजित शिक्षकों को मूल विद्यालय में योगदान देने का निर्देश दिया गया है. 10 दिन गुजर जाने के बाद भी प्रतिनियोजन पर गये शिक्षक मूल विद्यालय में योगदान नहीं दिया. जिला शिक्षा अधीक्षक ने जारी निर्देश में कहा है. जिसमें उपायुक्त के आदेश से प्रतिनियोजित शिक्षक, शिक्षिकाओं, एक विद्यालय, बंद विद्यालय, एकल विद्यालय में प्रतिनियोजित शिक्षकों छोड़कर बाकी सभी प्रतिनियोजित शिक्षक, शिक्षिकाओं का प्रतिनियोजन रद्द कर दिया गया है. साथ ही पत्र प्राप्ति के दो दिनों के भीतर अपने अपने मूल विद्यालय में योगदान करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन एक भी प्रतिनियोजित शिक्षक- शिक्षिका अपने मूल विद्यालय में योगदान नहीं दिये हैं. जो वरीय पदाधिकारी के आदेश को अवहेलना प्रतीत होता है. दूसरी तरफ नावाजयपुर मध्य विद्यालय के प्रतिनियोजित शिक्षक ने प्रधानाध्यापक को कहा कि अखबार वालों को प्रतिनियोजन की जानकारी क्यों दिया. अगर आप नही बताते, तो उन्हें प्रतिनियोजन के बारे में जानकारी कैसे होता. प्रधानाध्यापक इस मामले में कुछ बोलने से भी परहेज कर रहे थे. डीएसइ कुमार के निर्देश के बावजूद एक शिक्षक भी अपने मूल विद्यालय में वापस नहीं योगदान दिया. अभिभावकों का कहना है कि सरकार द्वारा विषय वार शिक्षकों की बहाली की जाती है, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके, लेकिन शिक्षक पदस्थापन के बाद पावर पर प्रतिवेदन कराकर लंबे समय से रहते हैं. इस तरह की गड़बड़ी विभाग के मिली भगत से होती है. आखिर किस स्थिति में प्रतिनियोजन किया जाता है और अधिकारी को जानकारी नहीं होती. ऐसे शिक्षकों को बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं होती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

