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गुरु तेग बहादुर की जयंती पर गुरुद्वारा में सजा दीवान

गुरुग्रंथ साहब का दीवान सजाया गया. अरदास, शबद गायन व कीर्तन के बाद गुरु का लंगर लगा

मेदिनीनगर. सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर की जयंती मनायी गयी. इस अवसर पर सोमवार की सुबह बेलवाटिका स्थित गुरुद्वारा में कार्यक्रम हुआ. यहां गुरुग्रंथ साहब का दीवान सजाया गया. अरदास के बाद स्थानीय रागी जत्था के सदस्यों ने शबद गायन व कीर्तन किया. उपस्थित लोगों ने गुरु तेग बहादुर के जीवन दर्शन की चर्चा की. कहा कि उनका जन्म अमृतसर में 1621 ईस्वी में अप्रैल माह में हुआ था. वह गुरु हरगोविंद के सबसे छोटे पुत्र थे. उनके अंदर धर्म परायणता की भावना थी. धर्म परिवर्तन का हमेशा विरोध करते थे. यही वजह है कि तत्कालीन बादशाह औरंगजेब ने उनकी हत्या करा दी. गुर तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए अपना प्राण न्योछावर कर दिया. उनका मानना था कि किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के लिए दबाव देना मानवीय मूल्यों एवं उसके अधिकारों का हनन है. जयंती के अवसर पर काफी संख्या में सिख समाज के महिला-पुरुष उपस्थित थे. इस अवसर पर भूपेंद्र सिंह ने लंगर का आयोजन किया. गुरु के लंगर में कई लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया. मौके पर सरदार उपेंद्र सिंह बॉबी, चनप्रीत सिंह जॉनी, राजेंद्र सिंह, जसविंदर कौर, हरप्रीत कौर, हन्नी कौर, श्वेता कौर सहित कई लोग मौजूद थे.

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