मेदिनीनगर. नगर निगम के नयी मुहल्ला स्थित आनंद मार्ग जागृति में रविवार को प्रभात संगीत दिवस का आयोजन किया गया. आनंदमार्गी साधकों ने जागृति परिसर में अखंड कीर्तन, अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र व बाबा नाम केवलम का सामूहिक भजन-कीर्तन व साधना किया गया. ब्रह्मचारिणी चयनिका आचार्य ने कहा कि लगभग सात हजार वर्ष पूर्व भगवान शिव ने सरगम का आविष्कार कर मानव मन की सूक्ष्म अभिव्यक्तियों को प्रकट करने का सहज मार्ग प्रशस्त किया था. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 14 सितंबर 1982 को देवघर में आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री आनंदमूर्ति ने प्रथम प्रभात संगीत बंधु हे निये चलो प्रस्तुत कर मानव मन को भक्ति-मार्ग की ओर उन्मुख किया. अल्प अवधि में श्री आनंदमूर्ति जी ने 5018 प्रभात संगीत रचा. जो मानव समाज के लिए अमूल्य धरोहर हैं. उन्होंने बांग्ला, हिंदी, उर्दू, अंगिका, मैथिली, मगही व अंग्रेज़ी सहित कई भाषाओं में प्रभात संगीत की रचना की. आचार्य ने कहा कि जब कोई मनुष्य प्रभात संगीत में डूबकर खड़ा हो जाता है, तो उसकी चेतना इतनी प्रखर हो उठती है कि रेगिस्तान भी हरा-भरा प्रतीत होता है. इस अवसर पर प्रभात संगीत दिवस के अंतर्गत वाद्ययंत्र प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया. प्रतियोगिता में तबला वादन सच्चिदानंद तिवारी, हारमोनियम वादन चंदन देव व बांसुरी वादन पवन कुमार ने किया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

