भदई फसल नहीं हुई, धान के समय खेतों में पड़ी दरार
हुसैनाबाद : पलामू जिला अकाल , सुखाड़ और पलायन के लिए हमेशा सुर्खियों में रहा है. पिछले वर्ष कम वर्षा की वजह से हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र के किसानों को सुखाड़ का सामना करना पडा था. बल्कि यूं कहें कि बहुत कम ऐसा होता है जब हुसैनाबाद के किसान अकाल का सामना ना करते हों.
इस वर्ष शुरुआती बरसात में कुछ कम बारिश हुई, मगर बीच में अच्छी बारिश होने की वजह से किसानों ने धान की रोपाई की. घर में जो कुछ था किस्मत के भरोसे खेतों में फेंक दिया. किस्मत ने ऐसा धोखा दिया कि अब किसान न घर के रहे, ना घाट के. उनके समक्ष सिर्फ खाने की ही नहीं बल्कि अन्य कई समस्याएं भी मुंह बाये खड़ी हो गयी. अब उनके समक्ष एक ही उपाय बचता है जमीन बेच कर बेटियों की शादी करें ,बच्चों को अच्छी शिक्षा दें और घर परिवार चलायें. सभी प्रखंडों हुसैनाबाद, हैदरनगर, मोहम्मदगंज, हरिहरगंज का हाल एक जैसा है.
सिंचाई के नहीं हुए इमानदार प्रयास
पलामू में अकाल कोई नयी समस्या नहीं है. एकीकृत बिहार के समय नेताओं का मानना था कि दक्षिण बिहार की उपेक्षा की जाती है. झारखंड राज्य अलग होने के बाद पलामू के दो सिंचाई मंत्री हुए पहले रामचंद्र केशरी व दूसरे कमलेश कुमार सिंह दोनों मंत्रियों ने अपने कार्यकाल में योजनाएं बनायी. उस पर अमल नहीं किया. मंडल डैम हो या कनहर सिंचाई योजना, उत्तर कोयल परियोजना हो या बटाने डैम एक भी सिंचाई योजना जो बिहार से अलग होने के बाद बंद थीं,
उस पर कुछ भी नहीं हो सका. कमलेश कुमार सिंह ने वर्ष 2009 में भीम बराज मोहम्मदगंज के जीरो आरडी से ऊपरी नहर के निर्माण को स्वीकृत दी. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने उक्त योजना का शिलान्यास भी किया था. मगर सर्वे से आगे काम नहीं बढ़ सका. उक्त नहर का निर्माण होने से मोहम्मदगंज, हैदरनगर, हुसैनाबाद के अलावा हरिहरगंज प्रखंड के किसानों को काफी लाभ होता. मगर ऐसा नहीं हुआ। वर्तमान में भाजपा की सरकार है.
विस चुनाव के वक्त भाजपा नेता राजनाथ सिंह, रवींद्र राय, पलामू सांसद वीडी राम समेत सभी ने कहा था कि उनकी सरकार बनी तो, हुसैनाबाद की जपला सीमेंट फैक्टरी खुलेगी व सिंचाई की बेहतर व्यवस्था की जायेगी. सरकार ने जो किया है, वह सभी के सामने है. आज तक न जपला सीमेंट कारखाने पर चर्चा हुई न सिंचाई की व्यवस्था पर.