मेदिनीनगर/सतबरवा : पलामू की पहचान पलाश से जुड़ी हुई है. पलाश के फूल अभी खिले हुए है. जब मुरझाते है तो गिरते है. कल तक यह पेड़ से गिरने के बाद बर्बाद हो जाते थे. लेकिन अब फूल बर्बाद नहीं हो रहे है. बल्कि सूखे हुए पलाश के फूल से गुलाल बन रहे हैं. पर्यावरण की रक्षा करते हुए बर्बाद हो रहे चीज को उपयोग में लाकर रोजगार सृजन का द्वर खोलने का एक बड़ा उदाहरण पलाश का फूल बना है. इस दिशा में पलामू जिला प्रशासन ने सक्रियता के साथ जो कार्य किया.
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पलाश के फूल को मिल रही है राष्ट्रीय ख्याति
मेदिनीनगर/सतबरवा : पलामू की पहचान पलाश से जुड़ी हुई है. पलाश के फूल अभी खिले हुए है. जब मुरझाते है तो गिरते है. कल तक यह पेड़ से गिरने के बाद बर्बाद हो जाते थे. लेकिन अब फूल बर्बाद नहीं हो रहे है. बल्कि सूखे हुए पलाश के फूल से गुलाल बन रहे हैं. पर्यावरण […]
ऋद्धि-सिद्धि उत्पादक सहयोग समिति ने जो प्रयास किया. जिस अवधारणा के साथ आगे बढ़ी. प्रयास को उपायुक्त अमीत कुमार ने आगे बढ़ाया. सक्रियता के साथ डीसी श्री कुमार ने यह कोशिश की पलामू के पलाश और उसके फूल को राष्ट्रीय ख्याति दिलायी जाये. यह प्रयास अब आकार लेता दिख रहा है. पिछले तीन दिन से केंद्रीय टीम पलामू में थी. टीम ने पलामू में किये गये प्रयास का अध्ययन किया जा रहा था कि कैसे पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ रोजगार सृजन का संदेश पलाश के फूल के साथ दिया गया था. जमीनी स्तर पर इसका क्या असर है, किस तरह महिलाएं जुड़ी है. समाज पर इसका क्या असर है.
इसे देखने के बाद केंद्रीय टीम ने जो पाया वह न सिर्फ इससे जुड़े लोगों के लिए उत्साह बढ़ाने वाला है. बल्कि यह पूरे पलामू के लिए गर्व का विषय है. जब यहां किये गये प्रयास का चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होगी. न सिर्फ चर्चा होगी, बल्कि इससे तस्वीर भी बदलेगी. पलाश रोजगार का बड़ा अवसर है. यह बात अब धीरे-धीरे साबित होने लगी है. मालूम हो कि पलामू के पलाश के फूल से गुलाल बनाने के साथ-साथ लाह उत्पादन का जो कार्य हो रहा है, इस कार्य को प्रधानमंत्री एक्सीलेंसी आवार्ड के लिए नामित किया गया है. बताया गया कि इसके प्रथम चरण में आवेदन अप्लायी किया गया था. उसके बाद दूसरे चरण में दिल्ली में प्रजेंटेंस का कार्य हुआ था, जिसमें पलामू उपायुक्त अमीत कुमार ने बताया था कि किस तरह का प्रयास इस मामले में किया गया है. दूसरे चरण में चयनित के बाद. तीसरे चरण में केंद्रीय टीम इस कार्य को देखने आयी थी.
टीम ने गुरुवार को लेस्लीगंज के कुंदरी लाह बगान को देखा. शुक्रवार को यह टीम सतबरवा में थी. जहां सखी मंडल की महिलाओं से बात की गयी कि किस तरह पलाश के फूल से गुलाल बन रहे हैं. सखी मंडल की महिला सदस्य इतनी उत्साहित थी कि उनलोगों ने कहा कि वे लोग सूखे हुए फूल की बिक्री कर रहे है. 25 रुपये की दर से इसकी खरीदारी हो रही है. यदि उनलोगों को प्रोसेसिंग युनिट मिल जाये, तो वे लोग भी गुलाल बनाने का काम कर सकते हैं. महिलाओं की इस उत्साह को देखकर केंद्रीय टीम प्रभावित हुई. इस टीम में केंद्रीय शिक्षा उपसचिव प्रेम प्रकाश गुप्ता, केंद्रीय वित्त निदेशक दीपक कुमार आदि थे.
इस टीम के साथ पलामू के उपायुक्त अमीत कुमार ने भी विभिन्न इलाकों का भ्रमण किया और इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी. मौके पर डीएफओ एनसी मुंडा, निदेशक हैदर अली, लाह अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार, डीपीओ अरविंद कुमार सहित कई लोग मौजूद थे. बताया गया कि आने वाले कल में पलाश के औषधीय गुण को देखते हुए दवा बनाने की भी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. इस दिशा में भी आने वाले दिनों में प्रयास हो सकता है.
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