प्रतिनिधि, महेशपुर. जेएसएलपीएस से जुड़ने के बाद महेशपुर प्रखंड के बलियापतरा गांव की महिलाओं की तस्वीर बदल गयी है, जहां रोजगार के अभाव में महिलाएं व पुरुषों का पलायन और हड़िया (दारू) बेचने की हालत थी, लेकिन अब महिलाएं ऋण लेकर दुकान खोलकर व पति का सहारा बनकर खुशहाल जिंदगी जी रही हैं. महेशपुर प्रखंड के बलियापतरा गांव में आजीविका का मुख्य साधन कृषि है. इस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. फिर जेएसएलपीएस के बलियापतरा गांव की दीदियों ने एक समूह का गठन किया. इसके उ बाद उन्होंने प्रशिक्षण लिया. बलियापतरा गांव की दीदी बीना देवी 2021 में फूलों झानो आशीर्वाद अभियान में जुड़ीं. इसके बाद सखी दीदी बीना देवी ने हाट बाजार व चौक चौराहों में हड़िया दारू बेचने का काम छोड़कर फूलों झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़कर दो किस्त में 25 हजार रुपये ऋण लेकर आजीविका के रूप में टोटो लिया. टोटो से नियमित आय शुरू हुई, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में धीरे- धीरे सुधार आने लगा. आय में निरंतरता आने से परिवार की दैनिक जरूरतें आसानी से पूरी होने लगी. बचत की सोच भी विकसित हुई. जैसे-जैसे टोटो से आय बढ़ी, बीना देवी ने आय के स्रोतों को और मजबूत करने का निर्णय लिया. बीना देवी ने ऋण लेकर अब बाजारों में गोलगप्पा (फुचका), चाट व अंडा बेचने का कार्य शुरू किया. यह निर्णय उनके आत्मविश्वास और उद्यमशील सोच को दर्शाता है. बाजारों में बीना देवी के द्वारा पानी पूरी, चाट व अंडा बेचने से उन्हें अतिरिक्त आय मिलने लगी है. वर्तमान में बीना देवी की लगभग 15 हजार रुपये की आमदनी हो रही है. बीना देवी की यह यात्रा केवल आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी नहीं है, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी मिसाल है. शराब निर्माण से बाहर निकलकर उन्होंने एक सम्मानजनक और सुरक्षित आजीविका को अपनाया. इससे न केवल उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ी है, बल्कि वे अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन रही हैं. आज बीना देवी स्वयं निर्णय लेने में सक्षम हैं. अपने बच्चों और पूरे परिवार के भविष्य के बारे में सोच पा रही है.
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