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पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना आयोग का है उद्देश्य

पाकुड़. पंचायत उन्नति सूचकांक पर शुक्रवार को रवींद्र भवन टाउन हॉल में कार्यशाला का आयोजन हुआ.

पंचायत उन्नति सूचकांक पर कार्यशाला आयोजित, बोले पंचम राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष संवाददाता, पाकुड़. पंचायत उन्नति सूचकांक पर शुक्रवार को रवींद्र भवन टाउन हॉल में कार्यशाला का आयोजन हुआ. इसका उद्घाटन झारखंड पंचम राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष अमरेन्द्र प्रताप सिंह, उपायुक्त मनीष कुमार, पंचम राज्य वित्त आयोग के सदस्य प्रोफेसर हरीश्रर दयाल, डीडीसी महेश कुमार संथालिया, आइटीडीए निदेशक अरुण कुमार एक्का, एसडीओ साइमन मरांडी, जिला परिषद उपाध्यक्ष अशोक कुमार भगत, सीएस डॉ सुरेन्द्र कुमार मिश्रा, डीपीआरओ प्रीतिलता मुर्मू, डीटीओ मिथलेश कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से किया. इस मौके पर पीरामल फाउंडेशन के पदाधिकारी कृष्ण मोहन पोद्दार को शॉल और पौधा देकर सम्मानित किया गया. आयोजन का उद्देश्य पंचायत स्तर पर उन्नति और कार्यों में सुधार के लिए अधिकारियों को प्रोत्साहित करना था. अध्यक्ष अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि पंचम राज्य वित्त आयोग का मुख्य काम राज्य की पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा और उनकी कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कदम सुझाना है. आयोग का उद्देश्य इन संस्थाओं को सशक्त और वित्तीय रूप से मजबूत बनाना है, ताकि वे अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें. उन्होंने जिला प्रशासन के कार्यों की प्रशंसा की. उपायुक्त मनीष कुमार ने बताया कि पाकुड़ जिला आकांक्षी जिला है. लिट्टीपाड़ा आकांक्षी प्रखंड है. पाकुड़ जिला शिक्षा के क्षेत्र में पहले 22वें स्थान पर था, लेकिन अब राज्य में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. अबुआ आवास के मामले में राज्य में प्रथम स्थान पर है. मनरेगा में राज्य में प्रथम स्थान पर है. रेवेन्यू कोर्ट मामले में राज्य में प्रथम स्थान पर है. नीलाम-पत्र वाद के निपटारा मामलों में भी राज्य में प्रथम स्थान पर है. पाकुड़ जिला विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है. उपायुक्त ने अधिकारियों को आगामी पंचायत उन्नति सूचकांक 2.0 में बेहतर परिणाम लाने के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन, पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व पर विशेष ध्यान देने को कहा. उन्होंने कहा कि यह पहल ग्राम पंचायतों की क्षमता वृद्धि, सुशासन और सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. डीपीआरओ प्रीतिलता मुर्मू ने बताया कि पंचायत उन्नति सूचकांक एक परिवर्तनकारी साधन है जो देशभर की 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों की प्रगति को मापने के लिए तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि यह सूचकांक स्थानीयकृत सतत विकास लक्ष्य के तहत 9 प्रमुख विषयों पर पंचायतों के प्रदर्शन को आंकता है, जैसे गरीबी मुक्त और आजीविका उन्नत पंचायत, स्वस्थ पंचायत, बाल-अनुकूल पंचायत, जल-पर्याप्त पंचायत, स्वच्छ एवं हरित पंचायत, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा, सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सुरक्षित पंचायत, सुशासन युक्त पंचायत तथा महिला हितैषी पंचायत.

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