कुड़ू़ विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर शनिवार को राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, आदिवासी छात्र संघ तथा अन्य आदिवासी संगठनों के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम से पहले पड़हा भवन से पदयात्रा का शुभारंभ किया गया जो शहरी क्षेत्र में भ्रमण के बाद पड़हा भवन में सभा के साथ संपन्न हुआ. सभा में आदिवासी सभ्यता और संस्कृति से जुड़े एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अतिथियों का मन मोह लिया. सभा को संबोधित करते हुए राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के प्रखंड सचिव जतरू उरांव ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस की सार्थकता तब साबित होगी जब आदिवासी समाज अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए एकजुट होगा. आज संकल्प लेने का दिन है कि हम अपने हक और अधिकार के लिए आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि जब आदिवासी समाज एकजुट हो जायेगा तो पूरे देश में सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जायेगा. जब तक सरना धर्म कोड लागू नहीं होगा तब तक आदिवासी समाज को मिलने वाले हक और अधिकार का लाभ अन्य लोग उठाते रहेंगे. राजी पड़हा बेल विजय उरांव ने सभी से एक छत के नीचे आने का आह्वान किया. इससे पहले प्रखंड के विभिन्न गांवों से आये आदिवासी पहान, पुजार, बेल और अगुवा नेताओं को पारंपरिक गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई. मौके पर शनि भगत, जतरू उरांव, विजय उरांव, पुरण मुंडा, दुलार भगत, अवधेश उरांव, सुकरात उरांव, धर्मदेव उरांव, बाना उरांव, दुबराज उरांव, विक्रम उरांव, विश्वनाथ उरांव, मुंशी उरांव, सरस्वती उरांव, प्यारी उरांव, सबिता उरांव, मुनिता उरांव, सुशीला उरांव, झालों उरांव, सुधीर उरांव, फलगू उरांव, सुखराम उरांव, मंगलदेव उरांव, अनिल उरांव, शांति उरांव, महावीर उरांव, सुनील उरांव, बिंदेश लकड़ा सहित अन्य लोग मौजूद थे.
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