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सिंचाई और कोल्ड स्टोरेज के अभाव में देसी तकनीक से प्याज बचा रहे किसान

झारखंड का यह जिला कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहां की लगभग 80 प्रतिशत आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है.

फोटो देसी तकनीक के कोल्ड स्टोर में रखा गया प्याज लोहरदगा. झारखंड का यह जिला कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहां की लगभग 80 प्रतिशत आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है. लेकिन सिंचाई, बाजार और भंडारण सुविधाओं के अभाव में किसान आज भी मानसून पर पूरी तरह आश्रित हैं. कभी अत्यधिक वर्षा तो कभी सूखे की मार झेलते हुए भी यहां के किसान मेहनत से खेती कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. जिले में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में कठिनाई होती है. ऐसे में ग्रामीण किसान देसी तकनीकों का सहारा लेकर अपनी उपज को सहेज रहे हैं. देसी तकनीक से प्याज की सुरक्षा निंगनी ऊपर टोली निवासी किसान सुगन साहू ने बताया कि वे वर्षों से प्याज को पाटन घर की छत पर पत्ता सहित चोटी बांधकर लटकाकर रखते हैं. इससे प्याज सालों भर ताजा बना रहता है और सड़ता नहीं है. उन्होंने बताया कि यदि प्याज को बोरे में या एक जगह इकट्ठा कर रखा जाए तो वह जल्दी सड़ने लगता है. सुगन साहू ने बताया कि जैसे ही बाजार में प्याज का मूल्य बढ़ता है, वे उसे बेचते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं. यह तकनीक सिर्फ वे ही नहीं, बल्कि गांव के अधिकांश किसान अपनाते हैं. इसी तरह किसान आलू, लहसुन और महुआ को भी देसी तरीके से सुरक्षित रखते हैं. कोल्ड स्टोरेज की मांग सुगन साहू ने कहा कि यदि सरकार द्वारा कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध करायी जाये, तो किसानों को इस देसी तकनीक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि यह देसी तरीका कम लागत और बिना किसी टैक्स या शुल्क के किसानों के लिए बेहद कारगर साबित हो रहा है.

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