कैरो़ प्रखंड मुख्यालय स्थित लैंपस भवन जर्जर स्थिति में होने के कारण किसानों को लैंपस के माध्यम से मिलने वाले लाभ से वंचित होना पड़ रहा है. कैरो स्थित लैंपस भवन दशकों पुराना होने के कारण पूरी तरह जर्जर हो चुका है. भवन में जगह-जगह दरारें पड़ गयी हैं और छत का प्लास्टर भी झड़ रहा है. इसी कारण लैंपस के अध्यक्ष, सचिव और सदस्य इस भवन में कार्यालय संचालन तथा किसी भी प्रकार का कार्य करने से कतराते हैं. इसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है. सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली खाद-बीज सुविधा हो या धान बिक्री की व्यवस्था लैंपस के क्रियाशील नहीं रहने से किसान परेशान हैं. कैरो लैंपस में धान की खरीदारी बंद होने के कारण किसानों को अपना धान खुले बाजार में ओने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है या दूर-दराज के लैंपस का चक्कर लगाना पड़ता है, जहां भी उन्हें उचित लाभ नहीं मिल पाता. सरकारी दर 24 रुपये 50 पैसे प्रति किलो की जगह किसान खुले बाजार में मात्र 16 से 17 रुपये प्रति किलो की दर से धान बेचने को मजबूर हैं. ऊपर से धान खरीद में सरकारी देरी होने के कारण किसान धान कटनी के बाद रबी फसल के लिये जरूरी धन की व्यवस्था नहीं कर पाते. भवन में लैंपस संचालित करना दुर्घटना को न्योता देने है : इस संबंध में लैंपस अध्यक्ष बजरंग उरांव ने बताया कि कैरो लैंपस भवन अत्यंत जर्जर है और ऐसे भवन में लैंपस संचालित करना किसी दुर्घटना को न्योता देने जैसा है. भवन की स्थिति की जानकारी कई बार विभाग को दी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि जब तक नया भवन नहीं बन जाता, तब तक कैरो में लैंपस संचालन संभव नहीं है.
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