लोहरदगा : सुप्रीम कोर्ट ने सजायाफ्ता के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगायी थी. केंद्र सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश पारित करा कर अब ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने की मंजूरी दे दी है.
अब सजायाफ्ता लोग भी चुनाव लड़ पायेंगे और उनकी सदस्यता भी नहीं जायेगी. इस मुद्दे पर लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अधिवक्ता राकेश अखौरी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया था, उस पर अमल किये जाने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता. कांग्रेसी नेता अशोक यादव का कहना है कि भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए कुछ तो कदम उठाना ही चाहिए.
अधिवक्ता पारन प्रसाद अग्रवाल का कहना है कि दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर निश्चित रूप से पाबंदी लगनी चाहिए. इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता. कांग्रेस ओबीसी सेल के चेयरमैन कुणाल अभिषेक का कहना है कि साफ–सुथरी छवि वाले जनप्रतिनिधि ही समाज को बदल सकते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम कुमार सिन्हा ने कहा कि भ्रष्ट नेताओं को चुनाव लड़ने से वंचित किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का फैसला काफी अच्छा था. अब सरकार अध्यादेश ला कर गड़बड़ी कर रही है. सामाजिक कार्यकर्ता सुनील भगत का कहना है कि भ्रष्ट नेताओं को टिकट ही नहीं मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल कर इस देश के करोड़ों नागरिकों की भावनाओं से खेलने का काम संसद ने किया है.
नगर पर्षद के वार्ड पार्षद दिनेश पांडेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जितनी खुशी हुई थी, उतना ही दुख संसद के फैसले से हुई है. नगर पर्षद के पूर्व उपाध्यक्ष बलराम कुमार का कहना है कि दागी नेताओं का बहिष्कार किया जाना चाहिए.
युवा व्यवसायी पंकज महतो का कहना है कि समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जब तक स्वच्छ छवि के जनप्रतिनिधि सामने नहीं आयेंगे तब तक समाज से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा. डॉ टी साहू का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में फेरबदल नहीं किया जाना चाहिए था. उसका अनुपालन होने से समाज की दशा एवं दिशा बदलती.