लोहरदगा : शहर का एकमात्र बस पड़ाव आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. रेलवे साइडिंग के पास स्थित बस पड़ाव में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. जबकि प्रतिवर्ष नगर परिषद को यहां से लगभग ₹35 लाख रुपये की आमदनी होती है. इसके बावजूद यहां यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है.
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अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है बस पड़ाव
लोहरदगा : शहर का एकमात्र बस पड़ाव आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. रेलवे साइडिंग के पास स्थित बस पड़ाव में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. जबकि प्रतिवर्ष नगर परिषद को यहां से लगभग ₹35 लाख रुपये की आमदनी होती है. इसके बावजूद यहां यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. […]
बस पड़ाव में सफाई की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. जलजमाव एवं कीचड़ से लोग परेशान हैं. यहां दूसरे राज्यों से प्रतिदिन 50 बसें आती है. 200 से ज्यादा छोटे वाहन यहां से गुजरते हैं इसके बावजूद यहां व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है. शौचालय गंदे हैं. बाथरूम में गंदगी है, हर ओर गंदगी नजर आती है.
सफाई के नाम पर सिर्फ नारे लिखे गये हैं लेकिन हर जगह गंदगी का अंबार नजर आता है. लोहरदगा शहर में स्थित इस बस पड़ाव को देखकर बाहर से आने वाले यात्रियों के मन में लोहरदगा के प्रति जो छवि बनती है. वह काफी नकारात्मक होती है. नगर परिषद के अधिकारियों कर्मचारियों के कारण लोहरदगा की छवि अब खराब होने लगी है. लोहरदगा में एक सुव्यवस्थित बस पड़ाव की मांग काफी पहले से की जा रही है.
लेकिन इस और न तो जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और ना ही अधिकारियों ने. नगर विकास विभाग की ओर से बस पड़ाव निर्माण के लिए राशि भी भेजी गयी थी, लेकिन नगर परिषद एवं वहां के ओहदेदारों की अकर्मण्यता के कारण यह राशि वापस चली गयी. आज बस पड़ाव की स्थिति को देखकर हर कोई मायूस है. बस पड़ाव में बरसात शुरू होते ही जलजमाव हो जाता है. महिला यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लोगों का कहना है कि नगर परिषद सिर्फ वसूली का केंद्र बनकर रह गया है, सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है.
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