लोहरदगा : लोहरदगा में चाय से पहले लोग नेसार भाई का इंतजार करते हैं. लोगों की चाय तब शुरू होती है जब हॉकर नेसार खान उन्हें अखबार पकड़ाते हैं. नेसार खान की जिंदगी में आज अखबार एक अहम हिस्सा बन गया है.
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चाय से पहले लोग करते हैं नेसार भाई का इंतजार
लोहरदगा : लोहरदगा में चाय से पहले लोग नेसार भाई का इंतजार करते हैं. लोगों की चाय तब शुरू होती है जब हॉकर नेसार खान उन्हें अखबार पकड़ाते हैं. नेसार खान की जिंदगी में आज अखबार एक अहम हिस्सा बन गया है. वे पिछले 25 वर्षों से अखबार बांट रहे हैं. प्रतिदिन सुबह चार बजे […]
वे पिछले 25 वर्षों से अखबार बांट रहे हैं. प्रतिदिन सुबह चार बजे से लेकर 11 बजे तक वे अपनी पुरानी साइकिल से अखबार बांटने निकल जाते हैं. लगभग 500 घरों में नेसार खान अहले सुबह पेपर पहुचाते हैं.
वे खुद भी पेपर पढ़ते हैं और देश-दुनिया की पूरी जानकारी उनके पास होती है. किसी भी विषय पर वे एक बुद्धिजीवी की तरह चर्चा करते हैं. जाड़ा, गर्मी, बरसात कोई भी महीना हो नेसार खान 3:30 बजे सुबह बिस्तर छोड़ देते हैं. उन्हें इस काम में काफी संतुष्टि मिलती है. वे अखबार को अपना साथी मानते हैं. जैसे ही अखबार गाड़ी से पेपर आता है उनके चेहरे पर रौनक आ जाती है.
पूरे लोहरदगा शहर में वे अखबार बांटते हैं. उनकी उम्र 60 वर्ष हो गयी है. लेकिन शरीर में वही फुर्ती है. नेसार खान लोहरदगा के मूल निवासी हैं. 1974 में इन्होंने नदिया हिन्दू उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद इंटर की पढ़ाई के लिए बलदेव साहू महाविद्यालय में एडमिशन कराया. पढ़ाई में गरीबी आड़े आ गयी और इन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी. नेसार खान 1980 में शिक्षक बहाली की परीक्षा दी. लिखित परीक्षा में पास हो गये. इंटरव्यू में उनसे पांच हजार रुपये की मांग की गयी. पर तंगी के कारण वे पैसा नहीं दे पाये इस कारण उनकी बहाली नहीं हो सकी.
उनके साथ गये उनके दो साथियों ने पैसा दिया तो उनकी बहाली हो गयी. इस व्यवस्था से नेसार खान का मन टूट गया और उन्होंने फिर कभी किसी नौकरी के लिए आवेदन ही नहीं दिया. चूंकि उनके पिता पोस्टमैन थे, घर की आर्थिक स्थिति उतनी बेहतर नहीं थी इसलिए उन्होंने हॉकर का काम पकड़ लिया. उस वक्त उन्हें काफी कम पैसा मिलता था़ लेकिन काम करना था और आज इसी काम के बदौलत ही उन्होंने अपने चार लड़कियों को बेहतर शिक्षा दी, एक लड़का रांची के मारवाड़ी कॉलेज में बीए की पढ़ाई कर रहा है.
शहर में नेसार खान ने अपना मकान बनवा लिया है. उनकी पहचान पूरे शहर में एक नेक इंसान की है. नेसार खान का कहना है कि इस काम में उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है. इसी काम ने मुझे जीविका और पहचान दी. अखबार का महत्व पहले भी था और आने वाले दिनों में भी रहेगा. अखबार पढ़ कर जो संतुष्टि लोगों को होती है उसका मुकाबला कोई अन्य माध्यम नहीं कर सकता है.
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