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लोहरदगा : हिंदी और उर्दू की परीक्षा एक ही उत्तरपुस्तिका में ली गयी

लोहरदगा : सेंटर सुप्रीटेंडेंट एवं वीक्षकों की गलती की वजह से इंटर की 332 छात्राओं का भविष्य दांव पर लग गया है. 21 फरवरी को आयोजित हिंदी और उर्दू की 50-50 अंक की परीक्षा उर्सुलाइन कॉन्वेंट मिडिल स्कूल में ली गयी. इसमें परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र तो दो दिये गये, मगर एक ही उत्तरपुस्तिका दी […]

लोहरदगा : सेंटर सुप्रीटेंडेंट एवं वीक्षकों की गलती की वजह से इंटर की 332 छात्राओं का भविष्य दांव पर लग गया है. 21 फरवरी को आयोजित हिंदी और उर्दू की 50-50 अंक की परीक्षा उर्सुलाइन कॉन्वेंट मिडिल स्कूल में ली गयी. इसमें परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र तो दो दिये गये, मगर एक ही उत्तरपुस्तिका दी गयी. एक उतरपुस्तिका मिलने पर छात्राओं ने वीक्षक को बताया कि उर्दू और हिंदी दो अलग विषय हैं, निश्चित रूप से कॉपियां अलग-अलग केंद्रों में जायेंगी.

इसके बावजूद इनकी बात नहीं सुनी गयी. कहा गया कि उसी उतर पुस्तिका के बाकी हिस्से में दूसरे विषय की परीक्षा लिखें. छात्राओं ने एक ही उत्तर पुस्तिका में हिंदी और उर्दू दोनों की परीक्षा लिख डाली. इसी कैंपस में एक अन्य विद्यालय के सेंटर की भी परीक्षा हो रही थी. जब दोनों सेंटर के परीक्षार्थी परीक्षा के बाद बाहर निकले और आपस में चर्चा की, तब जाकर छात्राओं को गड़बड़ी का एहसास हुआ.

भुक्तभोगी छात्राएं लोहरदगा पहुंची और शिक्षकों को सारी बातें बतायी. प्रिंसिपल प्रो स्नेह कुमार ने लोहरदगा जिला शिक्षा अधिकारी रतन कुमार महावर को मामले से अवगत कराया. पत्र लिखकर छात्राओं के हित में कदम उठाने का आग्रह किया. शिकायत करने पहुंची छात्राओं में रवीना खातून, नाजमीन खातून, चांदनी खातून, सब्बू खातून, शहनाज अख्तरी, नेहा परवीन शामिल थीं. उर्सुलाइन कॉन्वेंट मिडिल स्कूल का सेंटर सुप्रिटेंडेंट प्लस टू हाई स्कूल ब्रहमंडीहा चट्टी के हेडमास्टर लोधेर उरांव को बनाया गया था.

श्री उरांव से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी परीक्षाओं का अनुभव नहीं था. कोई स्पष्ट दिशा निर्देश भी नहीं दिये गये थे. इसलिए दो विषयों की परीक्षा एक उतर पुस्तिका पर लिखा दी. हालांकि स्कूल की शिक्षिकाओं में इस बात को लेकर चर्चा थी कि अगर किसी बात को लेकर दुविधा थी तो कैंपस में ही मौजूद हाई स्कूल की प्राचार्या से इस मुद्दे पर परामर्श लेना चाहिए था.

जैक के अधिकारियों से की गयी है बात : डीइओ : जिला शिक्षा अधिकारी महावर ने कहा कि यह मामला उन तक पहुंचा है. झारखंड अधिविद्य परिषद के अधिकारियों से बात की गयी है. छात्राओं की कॉपियों के मूल्यांकन की वैकल्पिक व्यवस्था करने का आग्रह किया गया है. इधर छात्राएं इस बात को लेकर परेशान हैं कि अगर उनकी कॉपियों का मूल्यांकन की अलग व्यवस्था नहीं की गयी तो उनका भविष्य संकट में फंस जायेगा. इधर अभिभावक भी विभाग की इस गलती को लेकर परेशान हैं.

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