लोहरदगा : झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा द्वारा शहरी क्षेत्र के मिशन चौक से रैली निकाली गयी़ जो समाहरणालय मैदान में पहुंच कर सभा में तब्दील हो गयी. मोर्चा द्वारा मांगों के समर्थन में धरना-प्रर्दशन किया गया. रैली का नेतृत्व मोर्चा के अश्विनी कुजूर, दिलीप पटनायक, बिनोद भगत ने किया. रैली में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आंदोलनकारी मोर्चा के लोग शामिल हुए थे. इस रैली में आंदोलनकारियों की मांगों से संबंधित नारे लगाये गये.
लोगों ने कहा कि झारखंड राज्य का गठन तो कर दिया गया लेकिन आंदोलनकारियों को उचित सम्मान नहीं मिला,यदि आंदोलनकारियों को उचित सम्मान और सुविधाएं नहीं मिली तो मोर्चा राज्यव्यापी आंदोलन करेगा. वक्ताओं ने कहा कि अन्य राज्यों कि तरह झारखंड आंदोलनकारी को भी सुविधा मिलनी चाहिए. धरना-प्रर्दशन के पश्चात मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि आंदोलनकारियों को चिह्नित कर उन्हें झारखंड आंदोलन के सेनानी का दर्जा दिया जाये, चिह्नितीकरण के लिए आंदोलनकारी नेतृत्व को ही अधिकृत किया जाये,
जेल गये आंदोलनकारियों का साक्ष्य अभिलेखागार में बंद पड़ा है उसे उपलब्ध कराया जाये, आंदोलनकारियों को पुनर्वास के लिए 0.10 डीसमील जमीन मकान बनाने के लिए शहरी क्षेत्र में नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाये, आंदोलनकारियों के आश्रितों को 10-10 लाख रुपये, नौकरी तथा अंग-भंग हुए आंदोलनकारियों तथा आंदोलन के क्रम में कुर्की किये गये घरों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा दिया जाये, झारखंड अलग राज्य के निर्माण की तिथि 15 नवंबर 2000 से 20 हजार रुपये प्रति माह पेंशन दिया जाये, आंदोलनकारी एवं उनके आश्रितों को रोजगार के लिए बैंक से न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाये,
आंदोलनकारियों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाये, आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को रेलवे और बसों में नि:शुल्क यात्रा के लिए पास उपलब्ध कराया जाये, झारखंड आंदोलन चिह्नितीकरण आयोग का कार्यकाल चिह्नितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक विस्तार किया जाये, वर्तमान स्थानीय नीति को रद्द कर 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनायी जाये, जिले में जमीन के कागजातों का कंप्यूटरीकरण वर्तमान सर्वे के आधार पर किया गया है जो त्रुटिपूर्ण है उसे रद्द कर 1932 के सर्वे के आधार पर किया जाये, भूमि अधिग्रहण कानून किसान व जन विरोधी है इसे निरस्त किया जाये,
सभी शिक्षण संस्थानों में क्षेत्रिय भाषा संथाली, मुंडारी, हो, कुड़ूख, खड़िया, नागपुरी, कुरमाली, खोरठा एवं परमनिया की पढ़ाई को अनिवार्य किया जाये. प्रतिनिधिमंडल में आश्विनी कुजूर, दिलीप पटनायक, बिनोद भगत, प्रभु उरांव, सधनु भगत, शाहिद अहमद, राजू गुप्ता, रामनंदन साहू, अभय कुजूर, रूस्तम खान, नेशार अहमद, छोटन विश्वकर्मा शामिल थे.