लातेहार. पलामू व्याघ्र परियोजना (पीटीआर) में वन सुरक्षा और वन्य जीव संरक्षण का मामला वर्तमान में बड़ी समस्या बन गयी है. पीटीआर के उत्तरी और दक्षिणी वन प्रमंडल के अंतर्गत आनेवाली आठ रेंजों में सिर्फ दो रेंजरों के सहारे जंगलों की निगरानी हो रही है. इससे जंगल की सुरक्षा, वन्यजीवों का संरक्षण और विकास योजनाएं प्रभावित हो रही है. गारू पूर्वी रेंजर उमेश कुमार दुबे के जिम्मे गारू पश्चिमी, महुआडांड़, बेतला, लातेहार वन प्रमंडल के रिचुघुटा, मेदिनीनगर वन प्रमंडल के पाटन और लातेहार सामाजिक वानिकी की जिम्मेदारी है, जबकि लातेहार रेंजर नंदकुमार मेहता को बारेसाढ़, चंदवा, बालूमाथ और सामाजिक वानिकी मेदिनीनगर का प्रभार दिया गया है. इसके अलावा उत्तरी वन प्रमंडल के छिपादोहर पश्चिमी रेंजर अजय टोप्पो के अधीन छिपादोहर पूर्वी, कुटकू, छत्तरपुर पूर्व-पश्चिमी और गढ़वा वन प्रमंडल का भंडारिया रेंज है. बेतला जैसे महत्वपूर्ण टाइगर रिजर्व क्षेत्र में रेंजर की कमी के कारण कई कार्य प्रभावित है. महुआडांड़ रेंज जहां देश का प्रमुख भेड़िया आश्रयणी (वुल्फ सैंक्चुअरी) अवस्थित है. इस रेंज में भी रेंजर और वनकर्मियों की कमी से संरक्षण कार्य बाधित हो रहा है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रेंजर की कमी के कारण गश्त और सुरक्षा कार्य प्रभावित हो रहे हैं. वहीं वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों ने इस स्थिति पर चिंता जतायी है. उनका कहना है कि यदि जल्द ही रेंजरों नियुक्ति नहीं की गयी, तो जंगलों में अवैध कटाई, शिकार और वन्यजीवों की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है.
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