लातेहार ़ जिला मुख्यालय में संचालित आइडीबीआइ बैंक के कर्मी सोमवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहें. मौके पर राजन कुमार, अजीत कुमार, सेफालिका, अरविंद राम ने आइडीबीआइ बैंक के मेन रोड शाखा के सामने प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने बैंक के निजीकरण के सरकार के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की और अपनी मांगों को सरकार और प्रबंधन तक पहुंचाने की अपील की. यह हड़ताल आइडीबीआइ बैंक में सरकार और एलआइसी की हिस्सेदारी के प्रस्तावित विनिवेश के विरोध में है. कर्मियों ने कहा कि शुरुआत में भारतीय औद्योगिक विकास बैंक अधिनियम 1964 के तहत एक विकास वित्त संस्थान के रूप में गठित यह बैंक सितंबर 2004 में भारतीय रिजर्व बैंक की एक सहायक कंपनी थी. आइडीबीआइ ने एक डीएफआइ से एक वाणिज्यिक बैंक में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है. वर्तमान में आइडीबीआइ बैंक में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत और एलआइसी की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत है. इसलिये जमाकर्ताओं को सॉवरेन गारंटी द्वारा संरक्षित किया जाता है, जो निजीकरण होने पर समाप्त हो जायेगी और डीआइसीजीसी कवर के अनुसार पांच लाख रुपये तक सीमित रहेगी. इसके अलावा चार लाख रुपये तक का असुरक्षित ऋण, केसीसी के रूप में कृषि को ऋण, जनधन खाते खोलना, पीएमजेजेबीवाइ, पीएमएसबीवाइ सभी सरकार प्रायोजित योजनाएं निजीकरण होने पर ये सारी योजनाएं बैंक के द्वारा नहीं की जा सकेंगी. बैंक कर्मियों के हड़ताल पर रहने से ग्रामीण क्षेत्र से आये लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.
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