बेतला : बेतला नेशनल पार्क से सटे कुटमू गांव में आठवीं की छात्रा विद्यावती कुमारी( उम्र 12 वर्ष) खून की कमी के कारण तड़प-तड़प कर मर गयी, जबकि उसके पिता मुन्ना पासवान खून ( ए पॉजिटिव) की व्यवस्था करने के लिए ब्लड बैंकों का चक्कर लगाते रहे. बदहाल व्यवस्था के आगे जिंदगी जंग हार गयी.
विद्यावती ए-प्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी से पीड़ित थी. चार दिनों से उसकी हालत बिगड़ती गयी. करीब एक माह से खून नहीं चढ़ा था. चिकित्सकों द्वारा सलाह दी गयी थी कि 18 वर्ष की उम्र तक लगातार खून चढ़ाना होगा.
पिछले एक वर्ष में करीब 28 यूनिट खून किसी तरह जुगाड़ कर विद्यावती के पिता मुन्ना पासवान अपनी बेटी की जान बचाने में सफल रहे थे. लेकिन रक्त नहीं मिलने के कारण अंतत: विद्यावती की जान चली गयी. विद्यावती आठवीं की छात्रा थी.
ब्लड बैंक खून देने से करते रहे इंकार : विद्यावती के पिता मुन्ना पासवान की माने, तो लातेहार ब्लड बैंक द्वारा उन्हें आश्वासन दिया गया था कि प्रत्येक माह खून उपलब्ध करा दिया जायेगा.पिछले माह खून उपलब्ध भी कराया गया था. लेकिन करीब एक सप्ताह पहले जब वह खून के लिए ब्लड बैंक पहुंचे, तो ब्लड बैंक द्वारा बताया गया कि खून उपलब्ध नहीं है. इसके बाद उन्होंने कई लोगों से खून देने की गुहार लगायी.
एक संस्था की ओर से मुन्ना पासवान को डोनर कार्ड उपलब्ध कराया गया. मुन्ना पासवान जब कार्ड लेकर मेदिनीनगर ब्लड बैंक पहुंचे, तो वहां भी खून नहीं दिया गया. उन्हें बताया गया कि डोनर कार्ड से खून नहीं मिलेगा. यदि खून लेना है, तो किसी दूसरे व्यक्ति को लेकर आयें. वह निराश होकर घर लौट आये. अचानक मंगलवार की रात विद्यावती की हालत बिगड़ गयी और कुछ ही देर में तड़प-तड़प कर उसकी मौत हो गयी.
क्या है ए प्लास्टिक एनीमिया
इस बीमारी में शरीर में खून बनना बंद हो जाता है. दरअसल खून नहीं बनने की दो वजहें होती हैं-एक तो यह कि अस्थि मज्जा (बोन मैरो) खून की कोशिकाएं ही नहीं बनाता और दूसरा यह कि खून की कोशिकाएं बनती तो हैं, लेकिन एंटी बॉडी उन्हें नष्ट कर देती है.