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बेलाटांड़ के श्रद्धालु इस बार करेंगे दक्षिण भारतीय मंदिर का दर्शन

जिले भर में नवरात्र की तैयारी शुरू हो गयी है. वहीं दुर्गोत्सव को लेकर भी तैयारियां जोरों पर है. जगह-जगह पर आकर्षक पंडाल का निर्माण हो रहा है.

झुमरीतिलैया. जिले भर में नवरात्र की तैयारी शुरू हो गयी है. वहीं दुर्गोत्सव को लेकर भी तैयारियां जोरों पर है. जगह-जगह पर आकर्षक पंडाल का निर्माण हो रहा है. मां दुर्गे की प्रतिमा को मूर्तिकार अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. शहर के बेलाटांड में इस बार भव्य व आकर्षक रूप से पूजा की तैयारी है. यहां भव्य पंडाल का निर्माण हो रहा है. श्रद्धालु इस बार दक्षिण भारतीय मंदिर का दर्शन करेंगे. बेलाटांड़ में बांग्ला पद्धति से मां दुर्गा की पूजा होती है. यहां पूजा की परंपरा 1949 से शुरू हुई थी. इस वर्ष सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति बेलाटांड़ अपना 76वां वर्षगांठ मना रही है. यहां पूजा की शुरुआत अटल बाबू, राजेंद्र नाथ सिन्हा, हेमंत दास पाल, नंदेश्वर सहाय उर्फ गुतुल बाबू, सोमेश्वर सहाय उर्फ सुमा बाबू और अवधबिहारी सिंह जैसे प्रतिष्ठित लोगों ने रखी थी. शुरुआत में देवी मंडप स्थित अटल बाबू के परिसर में साधारण तिरपाल लगाकर पूजा की शुरुआत हुई थी. समय के साथ पूजा का स्वरूप बड़ा होता चला गया. समिति के सदस्यों की सक्रियता व समाजसेवियों के सहयोग से यह मंडप अब विशाल और आकर्षक रूप में स्थापित है. पूरे साल आनेवाली सहयोग राशि और श्रद्धालुओं के चंदे से परिसर का सौंदर्यीकरण किया जाता है. इसमें समाजसेवी राजेंद्र जयसवाल, अजीत सिन्हा, उत्तम दास पाल, माखनलाल शर्मा, अनिल सिंह, प्रेम पांडेय, रामाशंकर यादव और नंद राय सहित अन्य लोगों का विशेष योगदान रहता है. इस बार पूजा समिति का गठन कर अध्यक्ष अनुराग सिंह और सचिव सौरव यादव को जिम्मेदारी दी गयी है. हालांकि, इस बार बेलाटांड़ में पहले की तरह मेला लगने को लेकर संशय है. मंदिर के पास की जमीन को लेकर उपजे विवाद के बाद यहां मेला नहीं लगने की बात कही जा रही है. वर्जन::: दुर्गा पूजा पंडाल, लाइटिंग व अन्य व्यवस्था में इस बार लगभग 15 लाख रुपये खर्च करने की योजना है. पंडाल को दक्षिण भारतीय मंदिर की शैली में बनाया जा रहा है. इस पर लगभग छह लाख रुपये खर्च होंगे. मूर्तियां भी बाहर से आये कलाकार विशेष रूप से तैयार कर रहे हैं. अनुराग सिंह, अध्यक्ष इस बार भव्य लाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है, जिस पर ढाई लाख रुपये खर्च होंगे. इसके अलावा मां का विशाल भंडारा और जागरण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा. नए और पुराने सदस्य मिलकर सामूहिक रूप से पूजा संपन्न कराते हैं. यह परंपरा आज भी पूरे श्रद्धा भाव से निभाई जा रही है. सौरव यादव, सचिव

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