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सोच बदलने के साथ जागरूकता भी जरूरी

कई मामलों में आज भी महिलाओं को नहीं मिली है पूरी आजादी, शिक्षा से बदल सकती है तसवीर झुमरीतिलैया : एक ओर हम डिजिटल दुनिया की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं की मानें, तो महिलाएं आज भी पूरी आजादी के साथ अपनी बात नहीं रख पाती है. कहने को तो समाज में […]

कई मामलों में आज भी महिलाओं को नहीं मिली है पूरी आजादी, शिक्षा से बदल सकती है तसवीर
झुमरीतिलैया : एक ओर हम डिजिटल दुनिया की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं की मानें, तो महिलाएं आज भी पूरी आजादी के साथ अपनी बात नहीं रख पाती है. कहने को तो समाज में महिलाएं पुरुषों से कंधा मिला कर चलती हैं, लेकिन असल जिंदगी में उन्हें कुछ मामलों में घर के चारदीवारी में ही कैद होकर रहना पड़ता है.
भाजपा महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष जूही दास गुप्ता ने कहा कि महिलाएं आज समाज की अहम भागीदार हैं, लेकिन आज भी कई मामलों में वह अपनी बात पूरी आजादी के साथ नहीं रख पाती है. कहने को तो उसे समाज में पुरुषों की तुलना में बराबरी का हक मिला हुआ है, लेकिन हकीकत इससे काफी दूर है. कोडरमा प्रखंड की प्रमुख अनिता देवी ने कहा कि आज के समाज में पहले की अपेक्षा महिलाओं को उच्च स्थान मिल रहा है और सरकार की ओर से भी इस पर ध्यान दिया जा रहा है.
महिलाएं आज पुरुष से कंधा से कंधा मिला कर काम कर रही है, जरूरत है उन्हें अपनी सोच बदलने की. गृहिणी सीमा वर्णवाल ने कहा कि समाज में बराबरी का दर्जा मिल जाने से ही कुछ नहीं होता, महिलाओं को अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना पड़ेगा. इसके लिए उन्हें शिक्षित होने की जरूरत है. संत विनोबा स्कूल की प्राचार्या मीनू त्रिवेदी ने बताया कि नारी प्रकृति का एक सुंदर उपहार है, जो कई गुणों से सुसज्जित है. एक समय औरत घर में ही सीमित थी, लेकिन आज वो समाज के कई क्षेत्र शिक्षा, चिकित्सा, राजनीति जैसे जगहों पे अपनी एक अलग पहचान बना रही है.
किड्जी प्ले स्कूल की निदेशिका ब्यूटी सिंह ने बताया कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा की अहम भूमिका होती है. बिना शिक्षित महिलाएं अपने आप को सशक्त नहीं कर सकती है. शिव तारा सरस्वती विद्या मंदिर की शिक्षिका पद्मा सिंह ने कहा कि महिलाओं में असीम शक्ति है. उन्हें अपनी शक्ति पहचानने के लिए जागरूक होना पड़ेगा. साथ ही समाज को महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलना पड़ेगा. शिक्षिका रविता उपाध्याय ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार समाज में महिलाओं का स्थान सर्वश्रेष्ठ होता है.
इस लिए महिलाओं को स्नेह सम्मान की जरूरत होती है. गृहिणी रश्मि प्रिया पांडेय ने कहा कि आज भी जब महिलाओं के साथ हिंसा होती है और जघन्य अपराधों की शिकार महिलाओं की कहानी कही या सुनी जाती है, तो महिला सशक्तीकरण की बातें बेबुनियाद और बेमानी लगती है. आये दिन हमारे समाज में घरेलू हिंसा जैसी घटनाएं हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या हमारा समाज सचमुच आगे बढ़ रहा है. छात्रा गुड्डी कुमारी ने कहा कि आज समाज में महिलाओं को शिक्षित किया जा रहा है, लेकिन आज भी उद्देश्य केवल घर संभालना ही है.
लड़कियां चाहे जितनी भी शिक्षित हो या प्रतिभावान हो उन्हें अपना कैरियर चुनने की आजादी नहीं है. गृहिणी प्रीति सिन्हा ने बताया कि स्त्रियों से जुड़े अपराधों के लिए भी कई बार महिलाओं को ही जिम्मेवार बताया जाता है, जबकि चाहिए कि लोग अपना नजरिया बदलें. महिलाएं केवल सजावट की वस्तु नहीं बल्कि समाज का अभिन्न अंग हैं. वे मां, बहन, बेटी व पत्नी बन कर परिवार की देखभाल कर सकती है, तो वीरांगना की तरह देश व समाज की सेवा भी कर सकती है.

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