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झारखंड की अश्विनी कुमारी को दिल्ली कैपिटल्स ने 10 लाख में खरीदा, वीमेंस प्रीमियर लीग में फिर खेलती दिखेंगी

बेटी की कामयाबी पर अश्विनी के पिता दिनेश कुमार सिंह व माता रीना देवी बहुत खुश हैं. प्रभात खबर से बातचीत में अश्विनी के पिता ने कहा कि बेटी ने हम सबों का एक बार फिर मान बढ़ाया है. अश्विनी की कामयाबी दूसरी लड़कियों के भी नये रास्ते खोलेगी.

जमशेदपुर, निसार: जमशेदपुर शहर की बेटी अश्विनी कुमारी ने एक बार फिर अपने प्रदर्शन के बूते वीमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) में खेलती नजर आएंगी. शनिवार को मुंबई में वीमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) के दूसरे सीजन के लिए छोटी नीलामी हुई. नीलामी में कुल 30 स्थान के लिए 165 खिलाड़ियों पर बोली लगी, जिनमें 104 भारतीय खिलाड़ी शामिल थीं. नीलामी के दौरान दिल्ली कैपिटल्स ने जमशेदपुर के गोविंदपुर की रहने वाली युवा ऑलराउंडर अश्विनी कुमारी को 10 लाख रुपए में खरीदा. दिल्ली कैपिटल्स ने सबसे आखिरी में अश्विनी पर बोली लगायी. ऑक्शन में अश्विनी का बेस प्राइज दस लाख रुपए ही था. पिछले वर्ष गुजरात जायंट्स ने अश्विनी को 35 लाख रुपए की मोटी रकम देकर खरीदा था. उन्होंने गुजरात के लिए तीन मैच भी खेले थे. इस साल के प्रदर्शन की बात की जाए, तो अश्विनी की कप्तानी में ईस्ट जोन टीम ने सीनियर महिला टी-20 ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया.

सफलता से माता-पिता खुश

बेटी की कामयाबी पर अश्विनी के पिता दिनेश कुमार सिंह व माता रीना देवी बहुत खुश हैं. प्रभात खबर से बातचीत में अश्विनी के पिता ने कहा कि बेटी ने हम सबों का एक बार फिर मान बढ़ाया है. अश्विनी की कामयाबी दूसरी लड़कियों के भी नये रास्ते खोलेगी. अश्विनी की मां रीना ने कहा कि मैंने अपनी बेटी को हमेशा वही करने दिया, जो वह करना चाहती थी. जिसका नतीजा है कि उसने हमारा भरोसा कभी नहीं तोड़ा और कामयाबी की इबारत गढ़ रही है. मुझे उम्मीद है माता रानी की कृपा रही तो, एक दिन वह भारत के लिए भी खेलेगी.

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स्कूली दिनों में अश्विनी को एथलेटिक्स से था लगाव

गोविंदपुर फाटक में रहने वाली अश्विनी के पिता दिनेश कुमार सिंह मोबिल का दुकान चलाकर परिवार का चलाते हैं. अश्विनी के पिता ने बताया कि मात्र 12 साल की उम्र से अश्विनी क्रिकेट खेल रही है. विवेक विद्यालय से दसवीं करने के बाद चिन्मया विद्यालय से अश्विनी ने प्लस टू किया है. अश्विनी ने बताया कि 2013 जब उन्होंने पहली बार महिला क्रिकेट देखा तब से उनके दिल में था कि वह भी क्रिकेट खेलना चाहती हैं. फिर उन्होंने शहर के कैंप में दाखिला लिया और क्रिकेट सीखा. स्कूली दिनों में एथलेटिक्स में रुचि रखने वाली अश्विनी ने बताया कि वह गेंदबाजी अच्छी तरह से करती थीं, लेकिन उनको बैटिंग का गुर उनकी सबसे प्यारी दोस्त ऋतु ने सिखाया. उसने ही उनको लंबा-लंबा छक्का मारना सिखाया. जिसका नतीजा रहा कि वह वीमेंस प्रीमियर लीग तक पहुंचने में कामयाब रही. अश्विनी की छोटी बहरन व भाई दोनों बेंगलुरु में रहकर पढ़ाई करते हैं.

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