Jamshedpur news.
जिले में मिल रहे कुपोषण व एनीमिया के मरीजों के लिए फूड फोर्टिफिकेशन काफी लाभदायक हो सकता है. उक्त बातें सिविल सर्जन ऑफिस के सभागार में मंगलवार को आयोजित फूड फोर्टिफिकेशन फॉर फूड बिजनेस ऑपरेटर प्रशिक्षण शिविर में उपस्थित हजारीबाग विनोबा भावे यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर जया सिंह ने कही. उन्होंने कहा कि फूड फोर्टिफिकेशन के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. खासकर राइस एवं आटा मिलर को, ताकि इसे बढ़ाया जा सके. खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों को मिलाने की प्रक्रिया को फूड फोर्टिफिकेशन कहते हैं. इसे खाद्य पौष्टिकीकरण भी कहा जाता है. इसका मकसद, खाद्य पदार्थों की पोषण गुणवत्ता में सुधार करना और पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है. चावल और आटा में विटामिन एवं मिनरल्स को मिक्स करके फोर्टिफाइड राइस और आटा बनाया जाता हैं. इस दौरान सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल, एसीएमओ डॉ जोगेश्वर प्रसाद, फूड इंस्पेक्टर मो. मंजर हुसैन, एक्सरे टेक्नीशियन रवींद्र नाथ ठाकुर, नरेश प्रसाद, उर्मिला सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे.जिले में 40 से अधिक प्रतिभागियों को दिया गया प्रशिक्षण
फूड इंस्पेक्टर मो मंजर हुसैन ने बताया कि फूड फोर्टिफिकेशन के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. इस कार्यक्रम में राइस और आटा मिलर के साथ 40 से अधिक लोग शामिल थे. जिले में सिर्फ एक जगह फोर्टिफाइड चावल का निर्माण होता है. हालांकि दूसरे मिलर भी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. लाइसेंस मिलने के बाद ही इसका निर्माण किया जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है