31.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जमशेदपुर : स्वशासन व्यवस्था है वजूद हमारा

ट्राइबल कॉन्क्लेव. सामाजिक व आर्थिक विकास पर चर्चा सामाजिक व आर्थिक विकास में बनेंगे एक-दूसरे का साथी जमशेदपुर : संवाद- ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में रविवार को स्वशासन व्यवस्था व विकास के मुद्दे पर विभिन्न राज्यों से आये आदिवासी प्रतिनिधियों ने अपनी मन की बात व अनुभव को साझा किया. वक्ताओं ने कहा कि जो भी […]

ट्राइबल कॉन्क्लेव. सामाजिक व आर्थिक विकास पर चर्चा
सामाजिक व आर्थिक विकास में बनेंगे एक-दूसरे का साथी
जमशेदपुर : संवाद- ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में रविवार को स्वशासन व्यवस्था व विकास के मुद्दे पर विभिन्न राज्यों से आये आदिवासी प्रतिनिधियों ने अपनी मन की बात व अनुभव को साझा किया. वक्ताओं ने कहा कि जो भी व्यक्ति समाज में रहता है. उसका समाज के प्रति नैतिक जिम्मेदारी भी है.
समाज के लिए किया गया काम किसी दूसरे के लिए नहीं, खुद के लिए होता है. दुनिया के चाहे किसी भी कोने मेें कोई भी आदिवासी समुदाय रहते हो, वह हमेशा मिल कर रहते हैं. वे एक समाज का निर्माण करते हैं. समाज व समुदाय को खुद से सुव्यवस्थित तरीके से चलाने की व्यवस्था ही स्वशासन व्यवस्था है. किसी के जन्म लेने से लेकर मृत्यु तक हमेशा पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था साथ खड़ा रहता है. या यूं कहें आदिवासी समुदाय स्वशासन व्यवस्था से ही संचालित होते हैं. जिसका नेतृत्व माझी बाबा, मुंडा, पाहन आदि करते हैं. अलग-अलग देश व राज्य में विभिन्न नामाें से जाने जाते हैं. लेकिन सिस्टम एक है.
वक्ताओं ने कहा कि कारण भले जो भी रहा हो, लेकिन हाल के दिनों में स्वशासन व्यवस्था कहीं-कहीं कमजोर नजर आती है. पारंपरिक व्यवस्था को बचाये रखने की जरूरत है. पारंपरिक व्यवस्था हमें सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक हर तरह की शिक्षा-दीक्षा से परिपूर्ण करती है. अपने वजूद से जोड़े रखती है. स्वशासन व्यवस्था, अलग जीवन शैली ही हमारी पहचान है. अपनी मूल पहचान को भुला कर नयी व्यवस्था को अपनाना उचित नहीं है. पारंपरिक व्यवस्था हमें करोड़ों सालों से संचालित करती आयी है. उसे के बदौलत हमने वर्तमान तक का सफर तय किया है. हर नयी व्यवस्था का सम्मान करते हैं.
उसका अनुसरण भी करते हैं. लेकिन अपनी मूल पारंपरिक व्यवस्था को छोड़ना मंजूर नहीं है. परिचर्चा में संताल, हो, मुंडा समेत कर्नाटक, ओडिशा समेत अन्य जगहों के आदिवासी प्रतिनिधियों ने अपनी बातों को रखा.
सृष्टिकथा ने सीखाया एकजुटता का पाठ : टीसीसी सोनारी में संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव के में दंतकथा पर आधारित एनीमेटेड फिल्म सृष्टिकथा को प्रदर्शित किया गया. इस फिल्म के माध्यम से आदिवासियों को एकता में बल है का संदेश दिया गया. साथ ही धरती, वन-पर्यावरण, आकाश व तारे आदि की सृजन की कथा को काफी रोचक तरीके से फिल्मांकन किया गया है.
मणीपुर के कलाकारों ने शत्रु पर विजय का नृत्य का किया प्रस्तुत : बिष्टुपुर गोपाल मैदान में संवाद-ट्राइबल कॉन्क्लेव के अखाड़े में मनीपुर के महिला व पुरुष कलाकारों ने मरम नृत्य की प्रस्तुति देकर समां को बांधा. कलाकारों ने शत्रु पर विजय हासिल करने के बाद नृत्य किये जानेवाले नृत्य काफी मनमोहक अंदाज में प्रस्तुत किया. महिला व पुरुष पारंपरिक लिबास व हथियार से लैस होकर नृत्य कर रहे थे. वहीं नीलगिरी और वेस्टर्न घाट के मुल्लू कुरुंबा ट्राइब ने रामायण की कहानी को नृत्य की शैली में अखड़ा में प्रस्तुत किया.
वहीं असम के राभा ट्राइब ने फरकाती नृत्य की प्रस्तुति दी. इस नृत्य के माध्यम से रणभूमि में अपनी जान गंवाने वाले वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी जाती है. असम से आये उरांव आदिवासियों ने चाय बागानेर झुमुर प्रस्तुत कर सबों को झूमने के लिए मजबूर किया. इसके अलावा किनौरी, ठाकुर, ध्रुव व साउथ अफ्रीका के ट्राइब का मनमोहक नृत्य का भी लोगों ने खूब लुत्फ उठाया. सांस्कृतिक संध्या के अंत में कोल्हान क्षेत्र के हो भाषा गीत के गायक बोयो गागराई द्वार एक से बढ़कर एकअसम के कारबीयालांग में चलता है स्वायत्त परिषद
हिल ट्राइब्स के अध्यक्ष साई सिंह रांपी ने बताया कि असम के कारबीयालांग जिले में आदिवासियों की संख्या अधिक है. यह जिला छठवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है. यहां स्वायत्त परिषद है. यहां स्वायत्त परिषद के 26 प्रतिनिधि चुने जाते हैं. जबकि चार प्रतिनिधि मनोनीत किये जाते हैं. विकास की रूपरेखा यहीं से तय होती है. यहां लोकसभा की सीट हिल्स ट्राइब्स के लिए आरक्षित है.
सहकारिता से सालाना कारोबार 17 करोड़ का
मध्य प्रदेश डिंजरी जिला से आये भारिया जनजाति की चंद्रकली मरकम ने अपनी अजीविका की कहानी को साझा किया. उन्होंने बताया कि 2007 में 15 महिलाओं को लेकर पोल्ट्री व्यवसाय शुरू किया था. वर्तमान समय में 400 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं. इनके बीच एक रानी दुर्गावती मुर्गी पालक सहकारिता का गठन किया गया है.
इसके माध्यम से मुर्गी पालन किया जाता है. यह सहकारी समिति सालाना 17 करोड़ का कारोबार करती है. प्रत्येक महिलाएं 20-22 दिन में तीन से साढ़े तीन हजार रुपये कमा लेती है. इस साल समूह में महिलाओं का पांच लाख रुपये का बोनस दिया गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें