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बौद्धों का विकसित धार्मिक व सामाजिक स्थल है हजारीबाग का बहोरनपुर

हजारीबाग शहर से सात किमी दूरी पर स्थित बहोरनपुर ऐतिहसिक स्थल की खुदाई कार्य अक्तूबर माह में शुरू होगा. बौद्ध समागम के इस स्थल को शोध कार्यों को विकसित करने की योजना है. 1200 वर्ष पूर्व पालवंश के इस ऐतिहासिक धरोहर को सामने लाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम होगा. पुरातात्विक विभाग पटना के अधिकारियों के अनुसार यह क्षेत्र बौद्ध धर्म का सामाजिक और धार्मिक केंद्र था. बौद्ध अनुयायियों के लिए यह शिक्षण केंद्र बन जायेगा.

पुरातात्विक विभाग पटना में हजारीबाग के बहोरनपुर ऐतिहासिक स्थल को बौद्ध समागम का विकसित सामाजिक व धार्मिक स्थल बताया. खुदाई स्थल में मिले सामान के अनुसार पुरातात्विक विभाग की टीम निष्कर्ष पर पहुंचा.

खुदाई अक्तूबर माह से शुरू होगा :

हजारीबाग शहर से सात किमी दूरी पर स्थित बहोरनपुर ऐतिहसिक स्थल की खुदाई कार्य अक्तूबर माह में शुरू होगा. बौद्ध समागम के इस स्थल को शोध कार्यों को विकसित करने की योजना है. 1200 वर्ष पूर्व पालवंश के इस ऐतिहासिक धरोहर को सामने लाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम होगा. पुरातात्विक विभाग पटना के अधिकारियों के अनुसार यह क्षेत्र बौद्ध धर्म का सामाजिक और धार्मिक केंद्र था. बौद्ध अनुयायियों के लिए यह शिक्षण केंद्र बन जायेगा.

बहोरनपुर खुदाई स्थल सुरक्षित हुआ :

सदर प्रखंड के गुरहेत पंचायत के बहोरनपुर गांव का खुदाई स्थल को पुरातात्विक विभाग ने सुरक्षित किया है. मई माह में एकाएक तेज बारिश के बाद खुदाई स्थल में पानी जमा हो गया था. जिससे ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान होने का खतरा बन गया था.

पुरातात्विक विभाग की टीम ने इस स्थल को बरसात की पानी से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें खुदाई स्थल में प्लास्टिक बिछाकर अस्थायी रूप से मिट्टी भर दिया है. अक्तूबर माह में जब दुबारा खुदाई शुरू होगी, तो मिट्टी हटा कर ऐतिहासिक धरोहर को खोज निकालेंगे. इस स्थल पर नवंबर 2019 में खुदाई कार्य शुरू हुआ था. प्रथम चरण की खुदाई के बाद कुछ दिनों तक कार्य बंद रहा. फरवरी 2021 में दुबारा खुदाई कार्य शुरू हुआ था. कोरोना महामारी के कारण अप्रैल 2021 से कार्य बंद है.

खुदाई स्थल से मिला है बौद्ध समावेश सामग्री : स्पर्श मुद्रा में भगवान बुद्ध की प्रतिमा, मां तारा की प्रतिमा, बौद्ध धर्म के देवता, अल्कटेश्वर की प्रतिमा, बौद्ध मंद्रिका स्तूप, कृषि व घरेलू काम में उपयोग होनेवाले सामग्री, तीर, लोहे की तिल, मिट्टी के दीया, घंटाकुट्टा, मिट्टी के बर्तन, परनाला सहित पालकाल के कई सामग्री मिले हैं.

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