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हजारीबाग बनता देश का सुंदर शहर
स्वच्छता सर्वेक्षण दो-दो बार डीपीआर बनी, पर नहीं हुआ अमल हजारीबाग : हजारीबाग शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना का कार्य समय पर यदि पूरा होता, तो भारत सरकार की स्वच्छता सर्वेक्षण में हजारीबाग शहर को पहला स्थान मिलने की उम्मीद होती. केंद्र प्रायोजित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना नगर निगम में वर्ष 2005-06 में आयी, […]
स्वच्छता सर्वेक्षण
दो-दो बार डीपीआर बनी, पर नहीं हुआ अमल
हजारीबाग : हजारीबाग शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना का कार्य समय पर यदि पूरा होता, तो भारत सरकार की स्वच्छता सर्वेक्षण में हजारीबाग शहर को पहला स्थान मिलने की उम्मीद होती. केंद्र प्रायोजित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना नगर निगम में वर्ष 2005-06 में आयी, लेकिन निगम बोर्ड या किसी अफसर ने इस मामले में गंभीरता नहीं दिखायी. नतीजा: योजना आज तक धरातल पर नहीं उतर पायी. यह योजना 19.83 करोड़ रुपये की थी, जिसमें केंद्र सरकार ने 2007 में प्रथम किस्त में ढ़ाई करोड़ की राशि नगर निगम को उपलब्ध करायी थी.
इसमें 2.11 करोड़ रुपये से तीन वाहन समेत सफाई यंत्र की खरीदारी हुई थी, लेकिन कचरा से मुक्त शहर बनाने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट पर कोई काम नहीं हुआ. अंतत: 10 साल बाद इस योजना को पूरी तरह से खत्म कर नगर निगम ने दोबारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना धरातल पर उतारने के लिए फिर से डीपीआर बनाने का काम शुरू किया.
योजना के लिए डीपीआर बनायी गयी और पहले से डेढ़ गुणा अधिक करीब 30 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनी. एक ही योजना के लिए दो-दो बार डीपीआर बनी. इससे सरकार के राजस्व को भी नुकसान हुआ. सभी हजारीबाग शहर अपनी स्वच्छता के लिए सैलानियों को आकर्षित करता था. देश-विदेश के सैलानी हजारीबाग की वादियों का लुत्फ उठाते थे, लेकिन समय बदलता गया और हजारीबाग अपनी पहचान खोता चला गया. नगर निगम क्षेत्र में प्रतिदिन नियमित सफाई होती, तो हजारीबाग साफ-सुथरा शहरों में अच्छे पायदान पर होता.
स्वच्छता को लेकर चल रहा है अभियान
स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर नगर निगम की ओर से शहर को साफ और सुंदर बनाने के लिए कई क्षेत्रों में अभियान चलाया गया है. यदि निगम की ओर से गंभीरता बरती जाती है, तो आनेवाले समय पर हजारीबाग स्वच्छ शहर के मामले में अव्वल पायदान पर आ सकता है. हालांकि जागरूकता अभियान चलाने समेत सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के काम हो रहे हैं. वहीं चौक-चौराहों पर डस्टबीन लगा कर कचरा मुक्त बनाने के लिए पहल की गयी है.
क्षेत्र बढ़ा, संसाधन घटा: नगर निगम क्षेत्र 21 वार्ड से 32 वार्ड तक बन गया. शहर की जनसंख्या 1.20 लाख से बढ़ कर करीब दो लाख हो गयी, लेकिन नगर निगम में सफाई कर्मियों की संख्या नहीं बढ़ी. शहर की सफाई के लिए संसाधन नहीं बढ़े. वर्तमान में नगर निगम में करीब 400 कर्मी हैं. इनमें से 210 सफाईकर्मी 32 वार्डों में काम कर रहे हैं. सफाई व पानी व्यवस्था के लिए छोटे-बड़े कुल 24 वाहन हैं. इनमें छह वाहनों की स्थिति जर्जर है.
प्रतिदिन निकलता है 20 ट्रैक्टर कचरा: नगर निगम क्षेत्र के शहर समेत डेली मार्केट और वार्डों से रोजाना करीब 20 ट्रैक्टर कचरा निकलता है. कचरों का डंपिंग सही तरीके से हो, तो शहर और अधिक साफ-सुथरा दिखेगा.
डोर टू डोर कचरे का संग्रहण बंद: नगर निगम क्षेत्र के सभी वार्डों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना शुरू हुई थी. छह एनजीओ के माध्यम से यह काम शुरू हुआ था. इसमें घर-घर जाकर कचरे को लेना था. फिलहाल सिर्फ नयी किरण संस्था की ओर से डोर टू डोर कचरे का संग्रह किया जा रहा है. शेष पांच एनजीओ ने इस काम को छोड़ दिया है.
वहीं बंगलुरु की कंपनी माइंड ट्री की ओर से हजारीबाग शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए पहल की. इसे लेकर डीसी रविशंकर शुक्ला की अध्यक्षता में कार्यशाला भी हुई, लेकिन धरातल पर काम नहीं उतरा नहीं. कंपनी ने भी काम छोड़ दिया.
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