चातुर्मास समापन के साथ मुनि श्री का हुआ मंगल विहारकोडरमा. श्री दिंगबर जैन समाज के सानिध्य में जैन मुनि एलाचार्य 108 विशुद्ध सागर जी महाराज का चातुर्मास समापन के साथ मंगल विहार हुआ. उल्लेखनीय है कि मुनि श्री का आगमन छह जून को हुआ था. इसके बाद 22 जुलाई को दिंगबर जैन बड़ा मंदिर में उनके सानिध्य में मंगल चातुर्मास की स्थापना हुई थी. मंगलवार को प्रात: छह बजे मुनि श्री के आशीर्वाद से दिंगबर जैन बड़ा मंदिर में 1008 नैमी नाथ भगवान श्री 1008 आदि नाथ भगवान, 1008 शांति नाथ भगवान की भव्य प्रतिमा पर महामस्तिकाभेष के साथ मुनि श्री के मुखारविंद से शांतिधारा की गयी.शांतिधारा का सौभाग्य पदम विशाल सेठी, कैलाश जैन, सुरेंद्र जैन, मुकेश जैन, गिरिडीह के शॉलु सरावगी को मिला. समाज के लोगों ने पूजन के बाद माला व फल गुरुवर के हाथों से लिया. सरस्वती भवन में मंगल विदाई समारोह का आयोजन किया गया. लोगों ने मुनि श्री से यहां रुकने का आग्रह किया. इस पर मुनि श्री ने कहा कि जैन गुरु रमता योगी बहाता पानी के समान है जो पूरे देश में पैदल घूम-घूम कर प्रचार करते हैं. मौके पर समाज के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश सेठी, प्रदीप पांडया, उप मंत्री विमल बडजात्या, राज छाबडा, विनोद अजमेरा आदि मौजूद थे. मुनि श्री का मंगल विहार हजारीबाग की ओर हुआ.
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चातुर्मास समापन के साथ मुनि श्री का
चातुर्मास समापन के साथ मुनि श्री का हुआ मंगल विहारकोडरमा. श्री दिंगबर जैन समाज के सानिध्य में जैन मुनि एलाचार्य 108 विशुद्ध सागर जी महाराज का चातुर्मास समापन के साथ मंगल विहार हुआ. उल्लेखनीय है कि मुनि श्री का आगमन छह जून को हुआ था. इसके बाद 22 जुलाई को दिंगबर जैन बड़ा मंदिर में […]
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