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पनसोखा बनाया, तब से नहीं सूखा है कुआं

हजारीबाग : वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर लोग काफी जागरूक हुए हैं. सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर वाटर हार्वेस्टिंग का काम शहर में बड़े पैमाने पर हुआ है. अब लोग मानने लगे हैं कि हजारीबाग में जलस्तर काफी नीचे पहुंच गया है. जलस्तर को उपर बनाये रखने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग जागरूकता अभियान कई स्तर […]

हजारीबाग : वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर लोग काफी जागरूक हुए हैं. सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर वाटर हार्वेस्टिंग का काम शहर में बड़े पैमाने पर हुआ है. अब लोग मानने लगे हैं कि हजारीबाग में जलस्तर काफी नीचे पहुंच गया है. जलस्तर को उपर बनाये रखने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग जागरूकता अभियान कई स्तर पर चल रहा है.

हजारीबाग शहर के कोर्रा चौक पर संत कोलंबा कॉलेज के पूर्व शिक्षक स्व श्रीराम के पुत्र आलोक कुमार ने अपने घर में वाटर हार्वेस्टिंग किया है. घर में ही 2008 से जल संरक्षण कर रहे हैं. आलोक रंजन ने बताया कि छत और घर से निकलने वाले पानी को पाइप के माध्यम से पनसोखा में गिराते हैं. जब से पनसोखा बना है कुंआ के सूखने की शिकायत नहीं हुई.
इससे पहले हमारा कुआं साल में दो से तीन माह सूख जाता था. अब कुआं से सालोंभर पानी मिल रहा है. इसको देख कर इलाके के लोग भी जागरूक हुए हैं. बारिश के पानी को संरक्षित कर भूमि का जलस्तर भी बढ़ाने का काम कर रहे हैं. आलोक रंजन ने बताया कि जल संरक्षण को लेकर कोई विशेष नीति नहीं है. शहर की सुंदरता को कायम रखने व निखारने के लिए दो काम करने होंगे.
पहला पौधरोपण व दूसरा जल संरक्षण. दोनों काम व्यवहारिक स्तर पर करना होगा. हमें अपने-अपने घर में गढ्ढा बना कर या कुआं में बरसात का पानी जमा करना होगा. इससे जलस्तर बढ़ेगा. हम अपनी छत से नीचे गिरनेवाले बरसात के पानी को संरक्षित कर जलस्तर को बढ़ा सकते हैं. इसका पहल हमने 2008 से शुरू कर दिया था. आज पूरे शहरवासियों को भी जागरूक रहना होगा.

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