बड़कागांव : हजारीबाग जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित है बादम व बड़कागांव किले मध्यकालीन इतिहास के साक्षात गवाह के रूप में आज भी खड़े हैं. यह बड़कागांव से 3 किमी दूर डूमारो में एवम बादम पंचायत के अहारो नदी के तट पर स्थित है. आहारो नदी झारखंड की प्रधान सहायक नदी है. यहां की भौगोलिक एवं प्राकृतिक छटा से आकर्षित होकर करणपुरा के राजा दलेल सिंह ने बादम को राजधानी के रूप में स्थापित किया था. लेकिन राज-पाट का कार्य बड़कागांव से संचालित होता था.
बादम में 1685 ईसवी में राजधानी बना था. लेकिन इसके पहले टंडवा के सिसई राजधानी था. लेकिन मुगलों के सेना से बचने के लिए बादम में भव्य किले एवं महल निर्माण किया गया था. उस समय राजा दलेल सिंह के समय बादम शांति, सौहार्द और भाईचारगी के नाम से पूरे छोटानागपुर में प्रसिद्ध था. बादम से पहले कर्णपुरा राज की राजधानी चतरा जिले के टंडवा प्रखंड के ग्राम सिसई में था और इसका मुख्यालय बड़कागांव था.
राजा दलेल सिंह की पुस्तक शिव सागर के अनुसार मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए सुरक्षा की दृष्टिकोण से सिसई से बादम में राजधानी के रूप परिवर्तित कर दिया गया. बादम के गढ़ को बचाने के लिए सिसई व बड़कागांव के किले में सेना तैनात रहते थे. जब इसकी जानकारी मिली तो राजा दलेल सिंह की संधि छोटानागपुर के राजा से हुई. तब इसे रामगढ़ राज में परिवर्तित कर दिया गया.
ब्रिटिश काल में रामगढ़ राज के छठे राजा हेमंत सिंह अपने देश के लिए अंग्रेजों के आगे झुकना पसंद नही किये. अंग्रेज सिपाही राजा हेमंत सिंह को गिरफ्तार कर काला पानी की सज़ा के लिए अंडमान निकोबार ले जा रहे थे, उसी समय हेमन्त सिंह ने समुद्र में कूद कर जान दे दी.
आज भी खिल रहा है चार शताब्दी व 15 वर्ष का गुलाब
बादम के किले के पास हैरत अंगेज गुलाब का पौधा है. बादम के किले निर्माण के समय 1685 में राजा दलेल सिंह की पत्नी के कहने पर गुलाब का पौधा लगाया गया था. जो आज भी हरा-भरा है. यह गुलाब आज भी खिल कर राजा-रानी के प्यार का संदेश फैला रहा है. इस गुलाब के पौधे की शाखा काफी विस्तार से फैल गयी है. इस फूल से परंपरा बन गया है कि हर 14 फरवरी को नये दूल्हे-दुल्हन व प्रेमी-प्रेमिका इस फूल से अपने प्यार का इजहार करते हैं.
जर्जर किले की सुरक्षा की मांग
बड़कागांव के प्रमुख प्रतिनिधि कालेश्वर गंझु, पूर्व पंचायत समिति सदस्य राजीव रंजन बादम के मुखिया दीपक दास का कहना है कि बड़कागांव व बादम के किले एतिहासिक स्थल हैं. इसे सुरक्षा देना सरकार का दायित्व है. शिक्षक जैलाल सगीर ने इसे राज्य सरकार से सुरक्षा देनी की मांग की है.