– 22 हाथियों के झुंड ने छठ महापर्व को किया बदरंग
संजय सागर@बड़कागांव
2:00 बजे रात्रि में लोग अपने-अपने घरों में चैन की नींद सो रहे थे, तभी अचानक घरों के गिरने की आवाज और हाथियों की चिंघाड़ लोगों को सुनायी पड़ी. आंखें खुलने पर विशाल हाथियों के झुंड लोगों को दिखायी दिये. सभी घर-बार छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान की ओर लोग भाग निकले.
बड़कागांव वन क्षेत्र तथा आसपास के क्षेत्र में हाथियों के झुंड ने कई गांव में उत्पात मचाया और कई एकड़ में लगे धान की फसल को बर्बाद कर दिया. वहीं कई लोगों के घर को भी ढहा दिया. इससे किसानों का छठ महापर्व उदासीन हो गया. हाथियों ने छठ महापर्व की खुशियों को बदरंग कर दिया.
ग्रामीण छठ पूजा छोड़ हाथियों को भगाने में व्यस्त रहे. मिली जानकारी के अनुसार हाथियों के झुंड में 22 हाथियों की संख्या है. यह सर्वप्रथम केरेडारी थाना क्षेत्र के ग्राम सलगा में 12 नवंबर की रात्रि प्रवेश कर दर्जनों किसानों के धान की फसलों को रौंद दिया. तत्पश्चात ग्रामीणों ने ढोलक बजाकर, आग लगाकर व मसाल दिखाकर हाथियों को भगाने का प्रयास किया.
सलगा जंगल से सीकरी के जंगल में पहुंचे हाथी
हाथियों का झुंड बड़कागांव थाना क्षेत्र के सिकरी पंचायत, चोरका, पंडरिया आदि गांव में दर्जनों किसानों के धान के खेत को उजाड़ डाला. हाथियों ने मुंशी कुमार महतो, मिश्री महतो, विश्वनाथ महतो, ननहत महतो, लिलेश्वर महतो, रघु महतो, तुलसी महतो, मनोज महतो, सुरेंद्र महतो, कालेश्वर महतो, लखन महतो, दिनेश्वर महतो के लगभग 1 एकड़ से अधिक खेत में लगे धान की फसलों को बर्बाद कर दिया. इससे किसानों के लाखों रुपये का नुकसान हुआ. इसके अलावे हाथियों ने कई लोगों के घरों को तोड़ दिया.
देर शाम तक हाथियों को भगाते रहे किसान
पंडरिया चोरका, सीकरी के किसान 12 नवंबर की देर रात तीन बजे से लेकर 13 नवंबर देर शाम तक हाथियों को भगाने में जुटे हुए थे. हाथियों को भगाने के लिए ग्रामीण व वन विभाग के पदाधिकारी आतिशबाजी, आग लगाकर, टायर जलाकर एवं ढोलक बजाकर हाथियों को भगाने का प्रयास कर रहे थे. हाथी को भगाने वालों में वन विभाग के रेंजर तरुण कुमार सिंह के नेतृत्व में धर्मनाथ महतो, दिनेश्वर महतो, लालमणि महतो, नारायण महतो, कमलेश्वर महतो, कमल नाथ महतो, राजकुमार राणा, विश्व कुमार राणा, वीरेंद्र राणा, धनुषधारी महतो, राम कुमार महतो, अगनु महतो, भोला महतो, भोला महतो, मोंटल कुमार, तुलसी महतो, सूबेदार राम, निर्मल महतो आदि लोग भगाने में लगे हुए थे. समाचार लिखे जाने तक ग्रामीण हाथियों को भगाने के लिए ढोल मंजीरा एवं मशाल का उपयोग कर रहे थे.