24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अब पेडी प्लांटर मशीन से धान की रोपनी

हजारीबाग : किसानों के लिए अच्छी खबर है. धान की रोपनी की प्रक्रिया अब आसान हो गयी है. पहले धान रोपने की प्रक्रिया थकान और कष्टकर थी, लेकिन अब किसानों को काफी सुविधा मिलेगी. झारखंड में पहली बार दारू प्रखंड के आकाकुंबा गांव में पेडी प्लांटर मशीन से धान की रोपाई हो रही है. इस […]

हजारीबाग : किसानों के लिए अच्छी खबर है. धान की रोपनी की प्रक्रिया अब आसान हो गयी है. पहले धान रोपने की प्रक्रिया थकान और कष्टकर थी, लेकिन अब किसानों को काफी सुविधा मिलेगी. झारखंड में पहली बार दारू प्रखंड के आकाकुंबा गांव में पेडी प्लांटर मशीन से धान की रोपाई हो रही है. इस मशीन से एक दिन में करीब चार एकड़ जमीन पर धान की रोपाई की जा सकती है.
इससे खेती में लागत भी कम आयेगी. परंपरागत खेती से कई गुणा ज्यादा धान भी उपजाया जा सकेगा. डेमोशट्रेशन के तौर पर इस विधि से खेती के लिए सेल्फ इंप्लाइड ऑर्गमेंट एसोसिएशन, सेवा भारत ने आकाकुंबा गांव की महिला समूह को यह मशीन उपलब्ध करायी है. संस्था दिगवार पंचायत के 14 गांवों व टोलों में काम कर रही है.
चटाईनुमा नर्सरी की तैयारी
धान का बिचड़ा तैयार करने के लिए चटाईनुमा नर्सरी की जाती है. नर्सरी के पहले प्लास्टिक पर दो ईंच मोटी मिट्टी को भरा जाता है. क्यारी को तैयार करने के लिए तीन भाग मिट्टी और एक भाग गोबर मिलाया जाता है. भूर-भूरे मिश्रण को मिट्टी की चलनी से छाना जाता है. इससे मिट्टी से कंकड़ अलग हो जाते हैं.
इसके बाद नर्सरी के लिए क्यारी तैयार हो जाती है. इस नर्सरी पर हाइब्रिड या अन्य किस्म के धान की बीज का छिड़काव होता है. इस विधि से खेती करने में बीज कम लगते हैं. हाथ से रोपाई करने के लिए एक एकड़ में 30 किलो बीज की जरूरत होती है, जबकि पेडी प्लांटर मशीन से रोपाई के लिए मात्र 15 से 20 किलो में एक एकड़ खेत में रोपाई होसकती है.
बिचड़े के लिए कम पानी की जरूरत
चटाईनुमा नर्सरी के बिचड़े में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है. बारिश कम होने की स्थिति में भी किसान पानी से छिड़काव कर बिचड़ा तैयार कर सकते हैं. धान की बुआई से 15 से 20 दिनों में बिचड़ा तैयार हो जाता है. इसके बाद पेडी प्लांटर मशीन को ट्रैक्टर में जोड़ कर चटाईनुमा नर्सरी की धान के बिचड़ा को रखा जाता है. इसके बाद दस से 12 सेमी पर धान की रोपाई मशीन के माध्यम से स्वत: हो जाती है.
10-15 क्विंटल अधिक उपज
सेवा भारत के एग्रीकल्चर एक्सपर्ट और डिस्ट्रिक कॉ-अॉडिनेटर सारिका ने बताया कि इस विधि से धान की खेती करने पर 10 से 15 क्विंटल अधिक धान की उपज होती है. साथ ही खेती की लागत कम होती है. परंपरागत खेती करने से मजदूरी और बिचड़े में प्रति एकड़ सात हजार लागत लगता है, जबकि मशीन से रोपाई करने में ढाई हजार रुपये प्रति एकड़ लागत आता है.
आनेवाले दिनों में इस मशीन से 14 और महिला ग्र्रुपों को जोड़ कर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. सुदूरवर्ती गांवों में परंपरागत खेती के बदले आधुनिक खेती की जा रही है. धान की रोपाई के लिए पेडी प्लाटेंशन मशीन का उपयोग हो रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें