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ज्योतिर्लिंग का प्रश्न आरएसएस के पत्रकार ने उठाया था, पंडा व पुजारी ने नहीं: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद

धार्मिक गोष्ठी. केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के आवास पर धार्मिक गोष्ठी का आयोजन हजारीबाग : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ज्योतिर्लिंग का प्रश्न उज्जैन की एक धर्मसभा में आरएसएस के एक पत्रकार ने उठाया था, किसी पंडा व पुजारी ने नहीं. ज्योतिर्लिंग को लेकर जो सवाल […]

धार्मिक गोष्ठी. केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के आवास पर धार्मिक गोष्ठी का आयोजन
हजारीबाग : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ज्योतिर्लिंग का प्रश्न उज्जैन की एक धर्मसभा में आरएसएस के एक पत्रकार ने उठाया था, किसी पंडा व पुजारी ने नहीं.
ज्योतिर्लिंग को लेकर जो सवाल राष्ट्रीय स्तर पर उछाला गया है, उसमें आरएसएस के पत्रकार की मुख्य भूमिका है. उक्त बातें हजारीबाग डेमोटांड़ स्थित केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के आवास पर सोमवार को 12.20 बजे से 1.30 बजे तक आयोजित धार्मिक गोष्ठी में शंकराचार्य ने कहीं. मंच पर मंत्री जयंत सिन्हा व शंकराचार्य के अनुयायी उपस्थित थे.
इसके अलावा गोष्ठी में सदर विधायक मनीष जायसवाल समेत काफी संख्या में भक्त उपस्थित थे. शंकराचार्य से भक्तों ने धार्मिक, सामाजिक व विज्ञान से संबंधित सवाल किये, जिसका शंकराचार्य ने जवाब दिया.
शंकराचार्य ने धार्मिक गोष्ठी में 12वां ज्योतिर्लिंग को लेकर कहा कि महाराष्ट्र के जिला बिड के पारले स्थित लिंग बैजनाथ व झारखंड के देवघर के लिंग बैजनाथ में कोई अंतर नहीं है. आपके पूर्वज जिस तरह मानते आ रहे है, मानें. असली व नकली का विवाद फिजूल है.
कहा कि उस धर्म सभा में देवघर बैजनाथ धाम व महाराष्ट्र के बिड पारले के पंडे व पुजारी आये थे, लेकिन पारले बैजनाथ धाम के पंडे-पुजारियों ने अपने भाव विचार प्रकट किये. जबकि बैजनाथ देवघर के पंडा पुजारियों को संभवत: अवसर नहीं मिला, जिससे उन्होंने स्वयं को उपेक्षित समझ लिया. लेकिन यह प्रश्न उन्हें उठाना चाहिए था, उन्होंने वहां कुछ भी नहीं कहा. स्वामी जी ने कहा कि उस आरएसएस के पत्रकार ने भी महाराष्ट्र बिड के पारले स्थित बैजनाथ धाम के बारे में कई आधिकारिक दावे नहीं किये. बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि जो बातें मैंने कही है, वह अपनी जानकारी के आधार पर ही कही है.
शंकराचार्य ने कहा कि जिस तरह देश में न्यायाधीश है, उसी तरह धार्मिक क्षेत्र में हम भी न्यायाधीश है. आपका झारखंड पुरी पीठ के अधीन आता है. ऐसे में हमारा दायित्व है कि इस प्रकार के प्रश्नों का समाधान किया जाये.
देवघर के पंडे गो रक्षिणी समित के महामंत्री जो मेरे शिष्य भी है, ज्योतिर्लिंग की चिंता उन्हें होनी चाहिए थी. उन्होंने देश में तीन बैजनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि झारखंड व महाराष्ट्र की तरह हिमाचल प्रदेश में भी लिंग बैजनाथ है. लेकिन सभी जगह अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा-अर्चना कर रहे है. ऐसे में मैं किसी के नकली व असली होने का प्रमाण पत्र नहीं दे सकता, यह काम मेरा नहीं है. उन्होंने इस प्रकार के प्रश्न उठने के पीछे मनोवैज्ञानिक कारण भी बताये. जिनमें अनुकृति, कल्प भेद व क्षेत्रीय परंपरा शामिल है.
बिहार के मधुबनी जिले में सामगाछी एक जगह है, जहां विवाह के वर कन्या पक्ष के लोग जमा होते है. आज उस जगह का नाम सौराठ हो गया है. इस नाम का गुजरात में सौराष्ट्र नाम की जगह है, जहां सोमनाथ का मंदिर है. वहीं बिहार के मधुबनी जिले में सामगाछी या सौराठ उसका महत्व गुजरात सौराष्ट्र के सोमनाथ मंदिर की तरह है. यह फर्क क्षेत्रीय परंपरा के आधार पर दिखाई पड़ता है.
कुछ इस तरह महाराष्ट्र के बिड पारेल स्थित लिंग बैजनाथ व झारखंड के देवघर स्थित लिंग बैजनाथ को लेकर है. इसमें किसी तरह का कोई विवाद का प्रश्न नहीं है. गोष्ठी के बाद भंडारा का आयोजन किया. इसमें आये लोग भंडारा का प्रसाद ग्रहण किया. इसके बाद शंकराचार्य से आशीर्वाद लिये.
धार्मिक गोष्ठी में भक्तों व शंकराचार्य महाराज के सवाल-जवाब
केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने पूछा विज्ञान व धर्म में क्या संबंध है.
जवाब: स्वामी शंकराचार्य ने कहा कि अंग्रेज हमारे ज्ञान व श्रेष्ठता से घबरा गये थे. उसने देश के दिशाहीन राजनीतिज्ञों के सहारे उसे दबाने का प्रयास किया. उन्होंने वैज्ञानिकों के मस्तिष्क का दुरुपयोग किया. उसके अपने ज्ञान विज्ञान तकनीकी वृद्धि के लिए इस्तेमाल किया, जिससे वैज्ञानिक सत्ता के इशारे पर काम करने लगे है. मानव विरोधी उपकरण तैयार रहे है.
इस तरह हमारी संस्कृति व ज्ञान-विज्ञान को सत्ता से दबा लिया. उन्होंने कहा कि भारत का विकास व समृद्धि वेदांत के सिद्धांत पर करने पर वर्तमान में जो हिंसा व विकृतियां नजर आ रही हैं, नहीं आयेंगी. विकास का संबंध बुद्धि व विवेक है. लेकिन आज बुद्धि व विवेक पर तपोगुण व रजोगुण हावी है. व्यक्ति में जो गुण अधिक होगा, उसके कार्य उस दिशा में होगा. आप जो कुछ आज चारों ओर बिखराव देख रहे है, उसका मूल कारण है वेदांती सिद्धांत व चिंतन से दूर होते जाना है. धर्म व विज्ञान साथ-साथ चल सकता है. यही तभी संभव हो सकता है, जब भारतीय समाज व संस्कृति की जीवन शैली वेदांत के सिद्धांतों के अनुसार अनुशासित हो.
उन्होंने कहा कि देश में महानगरों के विकास से संयुक्त परिवार विलुप्त हो गया है. जिन तत्वों से यह जगत व जीवन का निर्माण है, वे जल, अग्नि, आकाश, धरती व वायु सभी प्रदूषित हो गये है, जिसका बुरा प्रभाव हमारे जीवन व विवेक पर पड़ रहा है. धार्मिक दृष्टि विकृत हो गयी है. दूसरी ओर दिशाहीन शासन तंत्र ने वैज्ञानिकों के मस्तिष्क को विकृत कर दिया है. यहीं कारण है कि सत्ता अपनी सुरक्षा के लिए खतरनाक उपकरणों का वैज्ञानिकों द्वारा आविष्कार कराया जा रहा है.
समाज में आपसी विद्वेष व वैमनस्य अधिक बढ़ रहा है, यह कैसे कम होगा.
जवाब: स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने कहा कि सद्भावपूर्ण संवाद के माध्यम से दूर किया जा सकता है. आप अपने परिवार में गोष्ठी करें, अपनी भूलों पर विचार कर स्वीकार करें. जहां कहीं मंदिर व मठ है, वहां प्रेम, शांति व धर्म संबंधी गोष्ठी का आयोजन करें. घर परिवार में इस प्रकार की गोष्ठी नियमित होने से पारिवारिक तनाव व हिंसा से बचा जा सकता है.
गो रक्षा के लिए लगातार प्रयास हो रहे है, लेकिन इसका प्रभाव नहीं दिख रहा है, यह कैसे संभव होगा.जवाब: शंकराचार्य ने कहा कि आज देश में स्वार्थी नेताओं का दमन जितना हो रहा है, इतना तो अंग्रेजों व मुगलों के शासन काल भी नहीं हुआ था. जो भी देश में गिने-चुने संत है और अच्छी सोच रखते हैं, उनको आगे आना होगा. आज राजनेताओं ने कांग्रेसी संत व भाजपाई संत तैयार कर रखे हैं.
इसलिए हमें दार्शनिक व वैज्ञानिक दृष्टि से भारत की ज्ञान परंपरा व संस्कृति को समझना होगा. पहले जो संस्कृति, धर्म के संस्थान थे, उन्हें सत्ता से वशीभूत होकर स्वार्थी नेताओं ने राजनीतिक के केंद्र बना दिया है.सवाल: महिलाओं को दुर्गा पाठ करना चाहिए.
जवाब: शंकराचार्य ने कहा कि आप स्वयं दुर्गा है. आपको दुर्गापाठ करने की क्या जरूरत है. दुर्गापाठ दूसरे लोगों को करने दीजिये, आप स्वयं शक्ति रूप है.शिवलिंग का क्या अर्थ है.
जवाब: स्वामीजी ने कहा कि जिन्होंने न्याय वैशेषिक दर्शन का अध्ययन किया है, उन्हें इसको लेकर किसी तरह का भ्रम नहीं होना चाहिए. सरल अर्थ में लिंग का अर्थ चिह्न, प्रतीक व सूचक.
आप इसे दूसरे अर्थ में न लें. शिव निराकार है. उसका कोई आकार नहीं है. वह लिंग रूप में प्रकट होता है. भगवान हमारे सामने क्यों नहीं आते, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि भगवान तो अज्ञात व निराकार है. उनकी शक्ति को सह सकेंगे. उनसे केवल प्रेरणा लेने की जरूरत है. हमारी रक्षा ईश्वर, धर्म व संघ ही कर सकते है. तीनों ताकत सनातन धर्म की पहचान है. उन्होंने कहा कि भगवान से कभी चूक नहीं हो सकती, चूक तो आपसे ही हो सकती है.

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