कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद केंद्रीय सरना समिति चतरा द्वारा किया गया. मौके पर पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि झारखंड बने 17 साल हो गये, लेकिन आज तक आदिवासियों का समुचित विकास नहीं हुआ है. आदिवासियों के विकास के लिए अलग राज्य बना था. कहा कि सीएनटी, एसपीटी एक्ट आदिवासियों के हित में नहीं हैं. पूर्व विधायक ने कहा कि आज भी आदिवासी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है. झारखंड की पहचान आदिवासियों से ही है.
डीएसपी श्री खैरवार ने कहा की कार्यक्रम में गीत, संगीत व नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर आदिवासियों का इतिहास बताया गया. बच्चों को अपनी संस्कृति सीखने का मौका मिलता है. आदिवासी एकजुटता का परिचय दें. समाज के विकास में सबसे बड़ा बाधक नशाखोरी व रुढिवादिता है. उन्हीं से समाज का विकास नहीं हो पा रहा है. आदिवासी समाज में अंधविश्वास को दूर करने की जरूरत है. कहा की समाज के पढ़े-लिखे व नौकरी पेशा वाले लोग गरीब बच्चों को शिक्षा देने का जिम्मेवारी उठाये. मौके पर पूर्व जिप उपाध्यक्ष देवनंदन साहू, इटखोरी के सीओ रंजीत लोहरा, रेंजर कैलाश सिंह, बंधन भगत, सरयू उरांव, सोमा उरांव, मन्नू उरांव, शोभा कुजूर, सुरेश उरांव, लुसिया मिंज समेत कई लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, बहुउदेश्य उत्थान सहकारिता समिति, महिला संरक्षण समिति, पुलिस एसोसिएशन, केंद्रीय सरना समिति, सेवा संस्थान, जिला प्रशासन व आदिवासी वीमेंस नेटवर्क झारखंड ने अहम भूमिका निभायी.